For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेशक उसका जन्म हुआ है

बेशक उसका जन्म हुआ है

मंदिर में स्थापित देवताओं को

दूर से प्रणाम करने के लिए

 

बेशक उसका जन्म हुआ है

मंदिर प्रांगण के बाहर से

टुकुर-टुकुर ताकने के लिए

 

बेशक उसका जन्म हुआ है

अपनी वर्तमान दुर्दशा के लिए

खुद को ज़िम्मेदार मानने के लिए

 

बेशक यदि वो नही पहुंचे

तो सफल नही हो सकता

उनका कोई विशिष्ट आयोजन...

 

बेशक यदि वह नहीं जाए

तो भरपेटो के पैसों से बना

इतना सारा भोग-प्रसाद

फिर कौन खाए....

 

जाने क्यों वो

अपनी दुर्दशा का कारण

समझ नहीं पाता है

और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने

सपरिवार भूखे पेट,

पहुँच ही जाता है....

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on April 15, 2013 at 12:38pm
और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने

सपरिवार भूखे पेट,

पहुँच ही जाता है....
सुंदर अभिव्यक्ति
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 8:55am

वाह! मगर  मजबूरी और गुलामी की जंजीरों  को काट पाना आसान भी तो नहीं. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय अनवर सौहेल जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 7:18pm

जाने क्यों वो

अपनी दुर्दशा का कारण

समझ नहीं पाता है

और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने

सपरिवार भूखे पेट,

पहुँच ही जाता है....--------बहुत गहरे और मन को सिहरा देने वाले भाव, हम कितने विकसित हुए ?

ये पंक्तिया बता  रही है  |  बहुत बहुत बधाई भाई अनवर सुहैल जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 14, 2013 at 5:27pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अनवर जी 

मर्मस्पर्शी, शब्दों से मन को झकझोरती, सशक्त अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 5:23pm

जाने क्यों वो

अपनी दुर्दशा का कारण

समझ नहीं पाता है

और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने

सपरिवार भूखे पेट,

पहुँच ही जाता है.

अनुत्तरित 

बधाई,

सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 14, 2013 at 4:05pm

आ0 अनवर सुहैल जी, ’बेशक यदि वो नही पहुंचे
तो सफल नही हो सकता
उनका कोई विशिष्ट आयोजन...’ अतिसुन्दर। बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 14, 2013 at 1:44pm

बेशक उसका जन्म हुआ है

मंदिर प्रांगण के बाहर से

टुकुर-टुकुर ताकने के लिए

 

बेशक उसका जन्म हुआ है

अपनी वर्तमान दुर्दशा के लिए

खुद को ज़िम्मेदार मानने के लिए///////////

बहुत सुन्दर! आदरणी अनवर  जी,

Comment by Vindu Babu on April 14, 2013 at 10:22am
वाह आदरणी अनवर महोदय बिना नाम लिए ही स्पष्ट वर्णन कर दिया आज की अनदेखी सी समस्या का आपने। बहुत सुन्द शिल्प!
सादर बधाई स्वीकारें।
Comment by बृजेश नीरज on April 14, 2013 at 10:09am

बहुत सुन्दर!

Comment by coontee mukerji on April 14, 2013 at 9:48am

बेशक उनका जन्म हुआ है

मंदिर प्रांगण के बाहर

दूर से प्रणाम करने के लिये.......इन्ही तीन लाईनों ने बहुत कुछ कह दिया है . आपको बहुत बधाई ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service