For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनुशासन (लघुकथा) / रवि प्रभाकर

“आज तो आप कुछ ज्यादा ही देर से आईं है, आपने तीन पीरीयड मिस कर दिए"  सरकारी स्कूल की अध्यापिका ने दूसरी अध्यापिका से कहा

“क्या बताऊँ, मुन्ने के स्कूल में आज ‘पेरेन्ट-टीचर मीट’ थी, सो वहाँ जाना बहुत ही जरूरी था, अब आप तो जानती ही हैं कि कान्वेंट स्कूलों में अनुशासन का कितना ध्यान रखा जाता है।”

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2014 at 11:31pm

लघुकथा समाप्त वहाँ होती है जहाँ तुलनात्मक रूप से अपने दायित्व और माहौल को कमतर बताया जाता है. इस बेहतरीन व्यंग्य के लिए हार्दिक धन्यवाद, रवि भाई.
इस विधा पर आपकी पकड़ मुग्ध तो करती ही है, आश्वस्त भी करती है.
इस लघुकथा के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाइयाँ स्वीकारें.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 2:58pm

काश ! मैडम अपने विद्यालय के प्रति भी अनुशासित होती i सुन्दर व्यंग्य i  शिक्षाप्रद लघु कथा i

Comment by Sushil Sarna on July 16, 2014 at 7:30pm

एक कटु सत्य  … जिसे अपने सहजता से कह दिया   … एक विचारणीय प्रश्न है ? हार्दिक बधाई इसे सब के साथ साझा करने के लिए। 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 16, 2014 at 6:17pm

आदरणीय रवि जी, 

एक कड़वा सच. जिसे आपने बडी़ आसानी से कह दिया है. एक तो अपने बच्चे को कान्वेन्ट स्कूल में भेज दिया है. याने अपने स्कूल पर भरोसा नहीं है...

ये एक गम्भीर समस्या है सरकारी स्कूल की. सरकारी स्कूल में कोई सामर्थ्यवान अपने बच्चों को भेजता ही नहीं है. जिस दिन से किसी जिला के सरकारी अफ़सर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने लगेंगे उसी दिन से इन स्कूलों की बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा...कथा पढ़्ने के बाद एक विचार आया जिसे आप सबों के साथ बांट लिया...

सादर.

Comment by विनय कुमार on July 16, 2014 at 6:12pm

बहुत कटु सत्य , मापदंड अलग अलग होते हैं | बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए |

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 15, 2014 at 8:46pm
चलो मैडम ने कहीं तो अनुशासन का ख्याल रखाल. सत्य- कथा के लिए बधाई .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 15, 2014 at 8:18pm

जहाँ स्वतंत्रता  है वहां अनुशासन के यही हाल है... :))     बहुत ही बढ़िया विषय पर आपने अपनी लघुकथा साझा की आदरणीय रवि जी, आपको बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
24 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
25 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
27 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service