For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभागे (लघुकथा) - रवि प्रभाकर

प्रैस काफ्रेंस देर शाम तक चली। बाल श्रम उन्मूलन के तहत आजाद करवाये बाल श्रमिकों को पुलिस प्रेस के समक्ष लाई थी। फोटो खींचे गए, भाषण दिया गया और थानेदार साहिब का साक्षात्कार भी लिया गया। पत्रकार काफ्रेंस के बाद चाय नाश्ता कर अपने घर की ओर जा रहे थे तो सुबह से भूखे बैठे बाल श्रमिकों की ओर देखकर एक कांस्टेबल धीरे से थानेदार साहिब के कान में फुसफुसाया:

“साहिब! अब इन बच्चों का क्या करना हैे?”
”बड़े साहिब की बिटिया की शादी है अगले हफ्ते, कितना काम होगा वहाँ, छोड़ आयो वहीँ पे इन ससुरों को. "


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 4, 2014 at 11:52am

सुन्दर लघुकथा ....बधाई आप को

Comment by Meena Pathak on August 4, 2014 at 11:40am

दोहरा व्यक्तित्व ..............घर हो या बाहर हर जगह घातक 

सुन्दर लघुकथा ....बधाई आप को 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 4, 2014 at 10:47am

ऐसे डबल स्टेंडर्ड वाले लोग हर महकमे में मिल जायेंगे किन्तु पुलिस में तो इसकी कोई सीमा नहीं है...गिरगिट की तरह वक़्त के अनुसार रंग बदल जाते हैं मैडल और उन्नति पाने के लिए गेम खेलते हैं लघु कथा में सच में अभागे तो ये बच्चे ही हैं कहते हैं न आसमां से गिरे खजूर में अटके .बहुत प्रभाव शाली लघु कथा.बधाई आपको|   

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 3, 2014 at 10:13pm

सच्चाई का चित्रण किया है आप ने, सादर बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 3, 2014 at 9:30pm

बस! यही सब कुछ सच है. बधाई आपको आदरणीय रवि जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 3, 2014 at 8:12pm

ऐसा ही होता है!

Comment by MAHIMA SHREE on August 3, 2014 at 5:43pm

  क्या कहा जाए। . लाचार हम और पंगु व्यवस्था, हार्दिक बधाई आपको

Comment by आशा शैली on August 3, 2014 at 4:04pm

:आइना दिखाती लघुकथा

Comment by विनय कुमार on August 3, 2014 at 1:24pm

ये विरोधाभास दीखता ही रहता है , बहुत अच्छी लघुकथा , बधाई..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service