For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : श्रेष्ठ कौन ? (गणेश जी बागी)

                     पीतल और ऐलुमिनियम के बर्तनों में वर्चस्व की लड़ाई होने लगी, आखिर तय हुआ कि चाँदी महाराज से निर्णय करवाया जाये कि कौन श्रेष्ठ है । पीतल ने कहा कि उसके बर्तनों में देवों को भोग लगाया जाता है, कुलीनजनों के पास उसका स्थान है जबकि ऐलुमिनियम के बर्तनों में झुग्गी-झोपड़ी के लोग खाते हैं और तो और इसका कटोरा भिखमंगे लेकर घूमते रहते हैं । 
                    ऐलुमिनियम अपने पक्ष में कोई विशेष दलील नहीं दे सका I चाँदी महाराज ने अपने निर्णय में कहा कि पीतल भरे हुए को भरता है जबकि ऐलुमिनियम भूखे को खिलाता है, अत: भूखे को खिलाने वाला हीसदैव श्रेष्ठ होता है ।  
                    यह निर्णय सुनकर एक कोने में पड़ी 'पत्तल' मुस्कुरा उठी ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : दृष्टिकोण

Views: 1186

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 13, 2014 at 10:19pm

आदरणीय सुशील सरना जी, उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार।

Comment by Manan Kumar singh on November 13, 2014 at 10:18pm

बागीजी, आपने राज की बात की । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2014 at 11:18am

पत्तल का मुस्कराना से लगता है अब अच्छे दिन आने वाले है, जब यह लघु कथा और भी सार्थक लगेगी | वाह ! बहुत सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आद श्री गणेश जी "बागी" जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2014 at 11:04am

वाह! बहुत सुन्दर लघुकथा आदरणीय गणेश बागी जी 

वर्चस्व की लड़ाई में सर्वश्रेष्ठ तो लड़ाई से परे ही रहता है...तभी तो सर्वश्रेष्ठ है ..आखिर उसे ज़रुरत भी क्या?

पत्तल की मुस्कराहट पर निःशब्द हूँ..... बस बहुत बहुत बधाई स्वीकारिये इस शानदार प्रभावी लघुकथा पर 

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2014 at 4:04pm

आह  ---वाह-----

मैं तो मंत्रमुग्ध हूँ i  यह प्लाट कैसे रचनाकार के मानस में आया ? लघु कथा एक बार फिर विजयि नी हुयी है i  आदरणीय बागी जी आपकी लेखनी स्तुत्य है i यह  कथा लघु- कथा साहित्य में मील का पत्थर साबित होगी ,  इसमें संदेह नहीं है  i ईश्वर आप की लेखनी को और उर्जस्वित करे i  पत्तल का मुस्कराना तो गजब ही  ढा गया i  ऐसी रचनाये बनती नहीं अवतरित होती हैं i आपको कोटिशः बधाई i  आदरणीय बागी जी i

Comment by Chhaya Shukla on November 11, 2014 at 12:23pm

आ. गणेश जी ,
कितनी सहजता से समझा दिया आपने देने वाला श्रेष्ठ है |

"परोपकाराय सतां विभूतयः" को सिद्ध करती सार्थक लघु कथा

नमन आपकी लेखनी को !

सादर

Comment by Mohinder Kumar on November 11, 2014 at 11:37am

आदरणीय गणेश जी,

नीँव के पत्थर को कौन देखता है सभी भव्य इमारत की प्रशंसा करते हैँ.  पत्तल भी शायद नीँव का पत्थर ही है जिसका जिक्र हम लोग भूल जाते हैँ.  सार्थक विषय और भावपूर्ण रचना के लिये बधाई 

 

Comment by khursheed khairadi on November 11, 2014 at 8:59am

आदरणीय बागी साहब ,कमाल कर दिया आपने |प्रतीकों के साथ नैतिक शिक्षा पंचतंत्र से ही भारतीय साहित्य की परिपाटी रही है |आपने उसी परिपाटी का पूर्ण उतरदायित्व के साथ निर्वहन किया है |सादर अभिनन्दन |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 8:22am

आपकी यह लघुकथा ,बेमिसाल है आदरणीय बागी जी. एक न्यायोचित सार लेकर खड़ी इस लघुकथा पर आपकी कलम की जादूगिरी का कोई जवाब ही नही. बहुत-बहुत अच्छी लगी मुझे यह लघुकथा. आपको ह्रदय से बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2014 at 12:22am

जिन सटीक शब्दों में इस मंच के प्रधान सम्पादक आदरणीय योगराजभाईसाहब ने इस लघुकथा पर टिप्पणी की है वो लघुकथा के विन्यास की ओर भी सार्थक इंगित करते हैं. मैं भी उन्हीं शब्दों को संबल बना कर गणेश भाई आपको हार्दिक बधाइयाँ दे रहा हूँ. 

इस लघुकथा में बिम्बों और कथ्य का अत्यंत संयत संतुलन हुआ है. यही इस लघुकथा की खूबसूरती है.

बहुत खूब गणेश भाई.. !!

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service