For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिपाही (मत्तगयंद सवैया)


प्राण निछावर को तुम तत्पर,
भारत के प्रिय वीर सिपाही।
दुश्मन को ललकार अड़े तुम
अंदर बाहर छोड़ कुताही ।।
सर्द निशा अरू धूप सहे तुम,
देश अखण्ड़ सवारन चाही ।
मस्तक उन्नत देश किये तब,
मंगल जीवन लोग निभाही ।।
.................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 5, 2015 at 12:29am

मत्तगयंद सवैया के अनुसार रचना सही है .. लेकिन भाषा क्या है, भइया.. :-))
एक अच्छी कोशिश के लिए बधाइयाँ.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 4, 2015 at 4:43pm

मत्तगयन्द सवैया पर बढ़िया काम हुआ है आदरणीय रमेश जी, बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 10:28am

बहुत बढ़िया आदरणीय रमेश भैया बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 11:50pm
बधाई , आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 3, 2015 at 8:26pm

आदरणीय रमेश जी  बहुत बढ़िया . बधाई आपको !

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 3, 2015 at 7:08pm

आदरणीय श्रीवास्तवजी, वर्माजी, पाठकजी एवं वामनकरजी आप सभी ने इस रचना को मान दिया इसके लिये  सब को हृदय से आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2015 at 6:04pm

आदरणीय रमेश जी सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on January 3, 2015 at 5:43pm
सुन्दर मत्तगयन्द आदरणीय।।बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on January 3, 2015 at 4:55pm

सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:35pm

सात भगण  और अंत में दो गुरु का अच्छा निर्वाह हुआ है i रमेश जी बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service