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बधाई सर वाह अच्छी गजल कही आपने
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही.. .. .. . क्या बात है !
शिज्जू भाई, इस ग़ज़ल के लिए भरपूर दाद लीजिये.
शुभ-शुभ
हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही
वाह! वाकई नि:शब्द!! गजल में इतनी गहराई बिना खुद को भूले नही आती आ० शिज्जू जी!!अभिनन्दन!!
हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं
महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही........speechless
दो शेर एकदम से दिल छू गए ...
//मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही// क्या खुबसूरत ख्याल है वाह वाह.
//हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं
महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही// बहुत खूब, जबरदस्त कहन.
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है, बहुत बहुत बधाई भाई सिज्जू जी.
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही
इस बेहतरीन गज़ल पर दिली दाद कबूल करें बड़े भाई जी |
आदरणीय शिज्जु भाई जी बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं
मतला बेहतरीन हुआ है वाह वाह
दबी हर आह तेरा इश्क़ भी दबा ही सही
जुदा है तेरा ये अंदाज़ तो जुदा ही सही............. वाह वाह
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही................ वाह वाह सुन्दर
ग़ज़ल में डूब के खुद को भुला दिया हमने
चलो कुछ और नहीं तो यही नशा ही सही................ क्लासिक शेर
खयाल तेरी तमन्ना का है मेरे दिल में
सो रहनुमाई को अब तेरा मशविरा ही सही......... वाह वाह बेहतरीन शेर
मेरा खयाले मसर्रत में दिन ग़ुज़रता है
कुछ और देर यूँ ख्वाबों का सिलसिला ही सही..... बहुत अच्छा शेर
क्लासिक ग़ज़ल हुई है शिज्जु भाई जी ... बिलकुल उस्तादों वाली ग़ज़ल.....ग़ालिब चचा की ग़ज़लों सा आनंद आया.
आ० शिज्जू जी
बेहतरीन गजल i आपको बधाई i सादर i
हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं
महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही
मेरा खयाले मसर्रत में दिन ग़ुज़रता है
कुछ और देर यूँ ख्वाबों का सिलसिला ही सही
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