For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो जाग रहे हैं
दिन है फिर भी जाग रहे हैं
अक्सर वो रात में जागते है
अँधेरी और खामोश रात में
अब वो दिन में भी जाग रहे हैं
रात रौशन जो हो रही है
उन्हें एतराज़ है इस बात पर
रात रौशन क्यों है
वो बहुत गुस्से में है
वो बहुत गुस्से में है
वो साबित करना चाहते है
वो भी प्रहरी है
सूखी हुई खेती के
और उसको काटने नहीं देगे
और अपने मुलायम आसान से उतर आये है
वो अनशन भी कर सकते है
उन्हें डायबटीज़ है मानसिक
मीठा नहीं खा सकते
वो रूढ़िवादी भी है
पर वो स्वतंत्र है
आजकल विरोध पर है कारण बताओ नोटिस दिए बिना
अब वो अपनी स्तुति करवाने से मना कर रहे है
उनका विरोध का तरीका उनके पेशे के अनुकूल नहीं है
क्योंकि कलम में बहुत ताकत होती है
अगर सियासत से बची रहे तो


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:52pm
बहुत सुन्दर भैया जी
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 18, 2016 at 7:47am
बहुत खूब मित्रवर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 12, 2016 at 10:31am
बहुत ख़ूब।कलम की ताकत तभी जब सियासत से बची रहे।बधाई आदरणीय
Comment by मनोज अहसास on October 26, 2015 at 4:15pm
बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा जी
सादर
Comment by pratibha pande on October 26, 2015 at 3:53pm

कलम अगर सियासत से बची रहे तो और ये; 'तो'   ही है जो अक्सर 'हो 'नहीं पाता है   सम सामयिक उद्गार ,एकदम सटीक , बधाई इस रचना पर आदरणीय मनोज जी 

Comment by मनोज अहसास on October 26, 2015 at 3:24pm
बहुत बहुत आभार आदरणीया
इस कविता पर कम ही ध्यान गया मंच का
पता नहीं क्यों
शुक्रिया
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 26, 2015 at 10:12am

सामयिक कविता ... लेकिन कलम में बहुत ताक़त होती है, अगर सियासत से बची रही तो।बहुत खूब  सही कहा, इस तरह विरोध करना  मै तो समझती हूँ साहित्य का अपमान है विरोध करो अपनी कलम के जरिये ..आग भरदो अपनी कलम में ..ऐसे विरोध करो ..वर्ना आपमें और दूसरे धरना परस्त लोगों के बीच फर्क क्या रह जाएगा |बधाई मनोज कुमार जी 

Comment by मनोज अहसास on October 25, 2015 at 4:53pm
आदरणीय
मिथिलेश जी एवम् भाई पंकज जी
बहुत आभार
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 22, 2015 at 11:49pm

बहुत बढ़िया मनोज भाई जी 

आसान को आसन कर लीजियेगा 

रचना किसी कवि के सियासती हो जाने पर कही गई है क्या ?

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 22, 2015 at 7:58pm
लेकिन कलम में बहुत ताक़त होती है, अगर सियासत से बची रही तो।

बहुत खूब; सलाम हाज़िर है।

बेमोल हो गए हैं अनमोल से नगीने।
कीचड़ में गिर पड़े हैं साहित्य के नगीने।।
जिनको समाज वाले सूरज समझ रहे थे।
अंधियारी रात वाले ग्रह हो गये नगीने।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service