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सच तो यह है कि कटने के बाद जब बकरा मरता है उसके बाद ही हिन्दू या मुसलमान बनता है... जीते-जी नहीं|"
// बकरा गंवार सा जानवर होता है, इसलिए उसे हिन्दू कसाई अपने तरीके से काटता है और मुसलमान कसाई अपने तरीके से
इस लाजवाब रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय चंद्रेश जी... सादर
रचना को पसंद करने और टिप्पणी द्वारा मेरी हौसला अफज़ाई हेतु सादर आभार आदरणीय राम अशेरी जी
इस प्रेरणा दायी रचना के लिए आपको बधाई
रचना को पसंद करने और शुभकामनाओं हेतु सादर आभार आदरणीया कांता रॉय जी एवं आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब
सच तो यह है कि कटने के बाद जब बकरा मरता है उसके बाद ही हिन्दू या मुसलमान बनता है... जीते-जी नहीं|"------अद्भुत कथ्य सामने आया है यहाँ . गज़ब की लघुकथा है ये आपकी आदरणीय चंद्रेश जी . ह्रदय से बधाई प्रेषित है .
हाल फिलहाल में मेरी पढ़ी सर्वश्रेष्ठ रचना ! हार्दिक धन्यवाद आदरणीय चंद्रेशजी, इस उच्चकोटि की रचना केलिए !
शुभ-शुभ
//"बकरा गंवार सा जानवर होता है, इसलिए उसे हिन्दू कसाई अपने तरीके से काटता है और मुसलमान कसाई अपने तरीके से|// इस पंक्ति में निहित तंज बहुत तीखा है , धर्म के नाम पर ज़हर फैलाने वाले कसाई अपने अपने तरीक़े से भोली जनता को काटकर अपनी दुकान चला रहे हैं , बहुत बढ़िया रचना ,हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय चंद्रेश जी
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