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प्रकृति-दोहा छंद, शृंगारिक मत्त सवैया-रामबली गुप्ता

प्रकृति : दोहा छंद

सिंधु-शैल-सरि-नभ-धरा, तारक-रवि-सारंग।
पेड़-पुष्प-नर-जन्तु-खग, सभी प्रकृति के अंग।।

महकाते खिल के सुमन, प्रकृति-युवति के अंग।
स्वच्छ गगन तन-वसन को, देता स्यामल रंग।।

मृदा-वायु-जल-वृक्ष-वन, प्रकृति-दत्त सौगात।
युक्ति-युक्त दोहन करें, सुखी रहें दिन-रात।।

सखे! प्रकृति ने है दिया, संसाधन अनमोल।
सौम्य-सरल दोहन करें, सुख के पट लें खोल।।

मृदा मृदुल-जल वायु को, सखे! सहेजें नित्य।
धरा प्रदूषण मुक्त हो, करिये ऐसे कृत्य।।

मत्त सवैया छंद

बन के रजनीगंधा-जूही,
तुम चली झूम किस ओर प्रिये!

मुख-चन्द्र छिपा घन-कुंतल में,
बंकिम नयनों से घात किये।

तन-यौवन ज्यों नव-पुष्प खिला,
भर-भर गगरी मकरंद लिये।

रसपान बिना मधु-अधरों का,
यह भ्रमर कहो किस भाँति जिये।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 8:27pm

आदरणीय रामबलि जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 8:13pm
आदरणीय श्री राम बली गुप्ता जी सुन्दर छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 21, 2016 at 6:21pm

आ० रामबली जी -------

किया परिगणन  शैलि  में दोहों का विस्तार

मानक के अनुरूप हैं यह है मुख्य विचार 

बार- बार 'दोहन करें' उचित नहीं यह मित्र

तदपि आपने प्रकृति का खींचा अनुपम चित्र  

मत्त सवैया मानक के अनुरूप है , बढ़िया है   तुक में यदि ---ओर प्रिये की संगति में -- दृग कोर किये, मधु भाव विभोर लिए  और कैसे मन चित चोर जिए --------जैसी संयोजना हो तो  फिर बजरंग बली या श्री राम बली .--------- जय हो .

 

Comment by Shyam Narain Verma on September 21, 2016 at 4:05pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 3:31pm
आदरणीय राम बली जी सुन्दर दोहे रचे है आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 2:12pm
हृदय से आभार आद0 समर भाई साहब। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से रचनाकर्म को बल मिलता है।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:05pm

आदरणीय रामबलि गुप्ता जी बेहतरीन रचनाएँ प्रस्तुत की है आपने खासतौर पर पहले दो दोहों ने मन मोह लिया है

Comment by Samar kabeer on September 21, 2016 at 10:20am
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत बढ़िया दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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