For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 अँधेरा हो गया था

मेले से लौटने में 

जब बैलगाड़ी के पहिये में

फंस गया था

मेरी बेटी का दुपट्टा

जो पहिये के घूर्णन के साथ-साथ

कसता गया

मेरी बेटी के गले में

और तब गया सबका ध्यान 

जब घुटी -घुटी सी चीख

निकली उसके मुख से

हठात बैलों की लगाम

खींची गाडीवान ने

और बैल पैर उठाकर 

पीछे की और धसके

 

पहिये में फंसे दुपट्टे को

आहिस्ता से निकाल कर 

छुड़ाया गया उसका गला

उस काल-फंद से से जो

यद्यपि अपराजित हुआ

पर दे गया एक घाव

एक निशान

मेरी बेटी के गले पर

जिसे देखकर डाक्टर ने

मुझे घूरा था संदेह से

शायद पहिये और दुपट्टे की

युगलबंदी पर

नहीं विश्वास था उसे

उसकी गणित शायद इसे

मानता था  

विफल की गयी 

आत्महत्या का कोई मामला

 

मैंने समझाया

मिट्टी में सना वह दुपट्टा दिखाया

बेटी ने भी की 

तस्दीक उस घटना की

तब कही थोडा आश्वस्त हुआ डाक्टर

 

टाँके तो लग गए

रोज मरहम लगाए कौन ?

कौन करे घाव की सफाई ?

बेटी तैयार न थी

न माँ से न भाई से

पापा करेंगे

बेटी ने अपना फैसला सुनाया

पापा पर ही विश्वास था उसे 

पापा दर्द समझेंगे

रुई के फाहे से करेंगे सफाई

मंद स्पर्श से लगेगा मरहम

 

मरहम की अभ्यस्त हुयी

मेरी उंगलियाँ 

मेरी उँगलियों की

आदत पड़ी मरहम को

दोनों में हो गयी

अद्भुत पहचान 

एक दूसरे के दर्द का

दोनों को संज्ञान 

अंततः

अंत हुआ इस दारुण अभ्यास का

एक दिन होना ही था

पर मेरे हाथ

हाथ की उंगलियाँ

अब भी तरसती हैं

उस मरहम के परस को

जिसने घाव भरे बिटिया के

और शायद –शायद मेरे भी

बिटिया अब ठीक है

जैतून के तेल से

मिटेंगे निशान उसके

ऐसा लोग कहते है

मैं सोचता हूँ

यदि नहीं होता

जग में प्राणदायी मरहम तो

कैसे घाव भरते

तन के या मन के 

 

(मौलिक / अप्रकाशित )

 

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2016 at 3:17pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहिब अद्भुत और अप्रतिम प्रस्तुति    .... पिता पुत्री के स्नेही भावों की बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति हुई है  .... प्रस्तुति अंतस में इक टीस छोड़ जाती है  ... इस संवेदनशील प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें सर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2016 at 12:11am

आदरणीय गोपाल सर, इस प्रस्तुति ने नम कर दिया. भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Mahendra Kumar on December 29, 2016 at 8:06pm
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन सर, पिता-पुत्री को केन्द्र में रख कर बहुत उम्दा कविता लिखी है आपने। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई निवेदित है। सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on December 29, 2016 at 4:06pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 
Comment by Samar kabeer on December 29, 2016 at 3:10pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवस्त्व जी आदाब,बहुत उम्दा लगी आपकी कविता,प्रवाह देखते ही बनता है,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
29वीं पंक्ति में 'उसकी गणित'या "उसका गणित"कृपया मार्गदर्शन करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on December 29, 2016 at 3:05pm

आदरनीय डॉo गोपाल नारायण जी ,  सुन्दर भावुक प्रस्तुति पर बधाई , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 29, 2016 at 6:46am
आदरनीय डॉo गोपाल नारायण जी , स्मृतियाँ भी कहाँ कहाँ ले जाती हैं , सुन्दर भावुक प्रस्तुति पर बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service