For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नई सदी के मानव - (कविता) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

इक्कीसवीं सदी के मानव तुम कहां जा रहे हो?
दानव बहुरूपिये ही यूं बने जा रहे हो!
पठन-पाठन, अध्ययन ऐसा क्यों किये जा रहे हो?
बस कठपुतली ही यूं बने जा रहे हो!
साजो-सामान, भोग-विलास में क्यों डूबे जा रहे हो?
चोलों में, बोलों से भोलों को ठगते जा रहे हो!
पतन की गर्त में गोते लगा कर क्यों खोते जा रहे हो?
स्वर्ण से, रजत, ताम्र, कांस्य, कलयुग से नीचे कहीं जा रहे हो!

(मौलिक व अप्रकाशित)
(२७-०८-२०१७)

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 5, 2017 at 6:21pm
रचना पर समय देकर हौसला अफजाई और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय रामबली गुप्ता जी व आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2017 at 7:07am
आदरणीय शाहजाद उस्मानी साहब अव्वल कविता पर प्रयास के लिए सादर बधाई स्वीकारें। सिर्फ भाव की बात करें तो कविता बहुत ही सुंदर हुई है। किंतु यदि शिल्प की बात करें तो यह रचना मुझे कविता के सापेक्ष गद्य अधिक लगी। कविता में सिर्फ तुकान्तता का निर्वहन ख्र लेने मात्र से काम नही चलता। गेयता और प्रवाह भी महत्वपूर्ण होते हैं। अतः इस ओर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2017 at 6:31am
हार्दिक बधाई ..
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:23am
रचना पर अपनी राय से अवगत कराने और प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब। अभी इतना समय नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए छंद विधान ग़ज़ल सीखने का अभ्यास नहीं कर पा रहा हूं। सीखना अवश्य है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:21am
अचानक लिखी गई इन चंद पंक्तियों को पसंद करने, मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब, जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहब, जनाब indravidyavachaspatitiwari जी, जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज', आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
Comment by Samar kabeer on August 28, 2017 at 10:04pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन ये छन्द में होती तो बहतर लगती,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 28, 2017 at 6:09pm

चिंतन अच्छा हुआ है आदरणीय शहजाद भाई | हार्दिक बधाई |

Comment by indravidyavachaspatitiwari on August 28, 2017 at 6:02pm

कल्पना अच्छी है मानव दुर्दशा की । अब भी चेत जाय तो क्या कहना। अच्छी रचना के बधाई शेख रहमान उस्मानी साहब।

Comment by नाथ सोनांचली on August 28, 2017 at 1:49pm
आद0 शहजाद उस्मानी साहब, गहरी चिंतन को दर्शाती उम्दा सृजन, बधाई
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 28, 2017 at 11:45am
चिंतन तो अच्छा है आदरणीय..लेकिन..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service