For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक थी एकता (लघुकथा)

"क्यों नवयुवक, तुम किस के लिए दौड़ रहे हो इस भीड़ में? एकता के लिए, अपने लिए, किसी महापुरुष की प्रतिष्ठा के लिए, सरकार के लिए या किसी को श्रद्धांजलि के लिए?"

एक विशेष अवसर पर आयोजित विशाल दौड़ में एक पत्रकार ने पूछा तो वह नवयुवक अपनी विशेष टी-शर्ट सही करते हुए, मोबाइल से सेल्फ़ी लेते हुए बोला - " ये बढ़िया रहा! लोकप्रिय पत्रकार के साथ यादगार फोटो! .... चलिए आप भी दौड़िए मीडिया कवरेज के लिए, ग्लैमर के लिए, पब्लिसिटी के लिए; 'राष्ट्रीय एकता' के इस बैनर तले!"

सब दौड़ रहे थे। एकता सड़क पर थी!

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 861

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 5, 2017 at 5:00pm
इस रचना पटल पर समय देकर अपनी राय से अवगत कर मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी, आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी, आदरणीय तेजवीर सिंह जी, जनाब सलीम रज़ा रीवा साहिब और जनाब मोहित मिश्रा 'मुक्त' साहिब।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 5, 2017 at 4:55pm
मेरी इस रचनापर समय देकर अपनी प्रोत्साहक, समीक्षात्मक टिप्पणियों के द्वारा मुझे प्रोत्साहित करने के लिये बहुत-बहचत शुक्रिया मुहतरम जनाब नादिर ख़ान साहिब, जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब, जनाब मिथिलेश वामनकर साहिब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब समर कबीर साहिब
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 4, 2017 at 6:04am
आ. भाई शेख शहजाद जी,सार्थक और प्रहार करती कथा के लिए कोटि कोटि बधाई ।
Comment by नादिर ख़ान on November 3, 2017 at 11:06pm

जनाब शेख शहजाद साहब रियाकारी आज हमारे समाज मे किस कदर बढ़ गई है किसी से छुपी  नहीं है आपने बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ मे लघुकथा कही ... बहुत मुबारकबाद ...पैनी निगाह बनाये रखिये ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 3, 2017 at 3:36pm

आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी, इस सार्थक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 9:40am

जीवन में आज हर कोई दौड़ ही तो रहा है कोई अच्छे मकसद के लिए दौड़े तो भी उसका अर्थ अलग ही निकालेंगे क्योंकि वास्तव में हो ही ये रहा है कि सिर्फ अपनी पब्लिसिटी के लिए सब भाग रहे हैं .बहुत ही सही कटाक्ष करती हुई लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० उस्मानी जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2017 at 9:53pm
बहुत सही और तीखा कटाक्ष किया है आदरणीय..
Comment by Samar kabeer on November 1, 2017 at 9:19pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,कम शब्दों में बहुत उम्दा और सार्थक लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:37pm

जनाब शहज़ाद उस्मानी  साहब  , खूबसूरत लघुकथा के लिए दिली मुबारक़बाद 

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 3:58pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन कटाक्ष । आजकल सब झूठी और अंधी दौड़ में लगे हैं । सभी को प्रतिष्ठा चाहिए । देश की चिंता किसे है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
39 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service