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आ० ब्रज जी . आज का रचनाकार बड़ा जागरूक है वह नए-नये प्रयोग करता है , दोहा , रोला जैसे छंदों पर गीत रचना हुयी है , आपने बहरे मीर पर सुन्दर गीत लिखा . पर मेरा मानना है क हिंदी की छन्द कसौटी अपेक्षाकृत कठिन है और वहाँ मात्रा गिराने जैसे नियम नहीं हैं तो हम उन कठिन चुनौतियों को क्यूँ न स्वीकार करें . सादर .
आदरणीय बहुत अच्छा गीत लिखा है. हार्दिक बधाई....
चार पदों एवं 16-14 की यति का वह छन्द जिसका पदान्त दो गुरुओं से हो कुकुभ छन्द
चार पदों एवं 16-14 की यति का वह छन्द जिसका पदान्त तीन गुरुओं से हो ताटंक छन्द
चार पदों एवं 16-14 की यति का वह छन्द जिसका पदान्त उक्त पालन न करें और लघु-लघु गुरु या गुरु-लघु-लघु हो तो लावणी
मेरा व्यक्तिगत मत है कि बहरे-मीर में गीत लिखा जा सकता है. बस मात्रा गिराने की छूट कम-से-कम ली जानी चाहिए.
फूल तुम्हे भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है
प्रियतम मेरे ये तुम लिखना, क्या ये तुम्हारे काबिल है ............ इस पंक्ति में 'ये' की मात्रा गिराई गई है और लय बाधित नहीं हो रही है.
सादर
आदरणीय बृजेश जी,
अगर गीत में बहरे मीर और हिंदी के किसी छंद को एक साथ साधना हो तो मदिरा सवैया को आजमायें.
दोनों की तुलनात्मक संरचना ये है :
भगण भगण भगण भगण भगण भगण भगण गुरु
211 211 211 211 211 211 211 2
फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फा
सवैया में मात्रा को गिरा कर पढ़ने की छूट भी होती है, लेकिन इस में गुरु की जगह गुरु और लघु की जगह लघु ही आ सकता है.
सादर
आदरणीय बृजेश जी,
इस खूबसूरत गीत प्रस्तुति के लिए. हार्दिक शुभकामनाएं.
'कितने अफसाने गाये' को 'तुम बिन कौन इन्हें गाये' या इसी वजन के किसी और उपयुक्त मिसरे से संशोधित कर सकते हैं.
बाकी रचना अरूजी नजरिये से ठीक है.
सादर
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