For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गऊ ठीक-ठाक नहीं (लघुकथा)

उसे फिर किसी की चीख़ सी सुनाई दी।  उसने सोचा कि पड़ोसी का बच्चा फिर पिट गया होगा स्कूल का होमवर्क समय पर पूरा न कर पाने की वज़ह से या किसी ज़िद की वज़ह से। तभी एक और चीख़ उसे सुनाई दी। उसने अबकी सोचा कि फिर कोई बदज़ुबान बीवी या सास पिट गई होगी या कोई शराबी पति अपनी तेज-तर्रार बीवी से!  अगली चीख से स्पष्ट हो गया था कि चीख़ किसी महिला की ही थी। 

"भाड़ में जाए! करना क्या है? कर भी क्या सकते हैं ? उसकी बस्ती में तो आये दिन ऐसा कुछ न कुछ होता रहता है! रात के बारह बज चुके हैं, अपना भी सोने का वक़्त है!" उसने सोचा और खिड़की बंद कर बेड रूम में पहुंच गया। उसकी पत्नी की नींद अब लग चुकी थी। हां, उसका तकिया ज़रूर अश्रु-गंगा की गवाही दे रहा था।

"अपनी ग़लती कबूल कर लेती है! मुझसे कभी मुंह नहीं लड़ाती है! गऊ है गऊ! आज फिर सो गई डांट खाकर!" पत्नी की तरफ़ पीठ कर वह लेट गया था। पड़ोस से चीखें कुछ देर और सुनाई दीं।‌ फिर शान्ति छा गई थी।

पिछली देर रात की बात याद करते हुए वह चीखने वाली उस पड़ोसी औरत की लाश के सामने खड़ा था। 

"पति पर हाथ उठा दिया ससुरी ने, सिर्फ़ इतना कसूर था!" पड़ोसी उसे सुना रहा था, "गऊ जैसे आदमी से बेइज़्ज़ती इस बार बर्दाश्त न हुई; छोड़-छुट्टी न हुई, पक्की छुट्टी हो गई!"

"रात को चीखें तो सुनी थीं! किंतु कुछ ऐसा हो जायेगा, सोचा न था!" उसने उस पड़ोसी से कहा।

"तेज़ चीख़ें तो हमने भी सुनीं थीं! लेकिन सोचा कि मियां-बीवी के पचड़े में कौन पड़े!" पड़ोसी उसे एक तरफ़ कोने में ले जाकर बोला- "वैसे, औरतें तो रोकर-चीखकर शांत हो जाती हैं और अगले दिन सब कुछ ठीक-ठाक!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 7:28pm

प्रभावशाली कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 10:06pm

भावों तक पहुँच पाया मैं,हार्दिक बधाई. जरा-से तराशने से बेहतरीन कथा बन जायेगी,, सादर 

Comment by Ajay Tiwari on December 19, 2017 at 12:32pm

आदरणीय उस्मानी साहब, इस बेहतरीन कथा-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. सादर. 

Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2017 at 10:15pm

बढ़िया कटाक्षपूर्ण कथा है आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 18, 2017 at 4:56pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी नई आदाब,बढ़िया लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 18, 2017 at 12:54pm

अदरणीय उस्मानी जी, पुरुष अहंकार को दर्शाती बढ़िया लघु कथा । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 17, 2017 at 8:22pm

जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब , पति ,पत्नी रिश्तों को आइना दिखाती सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 6:56pm
Bahut sundr srijan sir haardik badhaaèeeeeeeeeee
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 17, 2017 at 5:59pm

एक झकझोरती हुई रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब

Comment by नाथ सोनांचली on December 17, 2017 at 4:42pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथा पर मेरी हार्दिक बधाई कुबूल करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
36 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
38 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service