For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते)

अरकान-1212  1122  1212  22

तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते

तो दुश्मनों के भी चहरे नज़र नहीं आते

सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से

लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते

भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा

सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते

बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के

भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते

हमेशा पीछे भी क्या देखना जमाने में

समय जो बीत गए लौट कर नहीं आते

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 11, 2018 at 1:14pm

वाह बेहतरीन...

बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के

भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते...सादर बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 10, 2018 at 7:55pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।

शेर2और 4 में ऐब- तकाबुले रदीफैंन हो रहा है । यूँ कर सकते हैं ।

"सतर्क आप निगाहों से हर घड़ी रहना "----"मिज़ाज हम ने ही मौसम के जब से बदले हैं "।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 9, 2018 at 9:08pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी।बेहतरीन गज़ल।

भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा

सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते

Comment by रक्षिता सिंह on February 8, 2018 at 11:06pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी,  बहुत ही खूबसूरत गजल ।

हार्दिक बधाई स्वीकार करे।

Comment by नाथ सोनांचली on February 8, 2018 at 1:17pm

आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पट आपकी सुखनवजी का बहुत बहुत आभार। सादर

Comment by somesh kumar on February 8, 2018 at 9:53am

सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से

लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते

पूरी गज़ल दिलकश है पर ये शे र दिल का लुटेरा 

 बधाई !

Comment by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 8:56pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया और बेह्तर लिख़ने को प्रेरित करती है, आपकी सदाशयता को नमन संग आभार

Comment by Mohammed Arif on February 7, 2018 at 8:43pm

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                         बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । इस ग़ज़ल का हर शे'र मुझे पसंद है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service