अरकान-1212 1122 1212 22
तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते
तो दुश्मनों के भी चहरे नज़र नहीं आते
सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से
लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते
भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा
सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते
बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के
भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते
हमेशा पीछे भी क्या देखना जमाने में
समय जो बीत गए लौट कर नहीं आते
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
वाह बेहतरीन...
बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के
भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते...सादर बधाई
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।
शेर2और 4 में ऐब- तकाबुले रदीफैंन हो रहा है । यूँ कर सकते हैं ।
"सतर्क आप निगाहों से हर घड़ी रहना "----"मिज़ाज हम ने ही मौसम के जब से बदले हैं "।
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी।बेहतरीन गज़ल।
भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा
सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते
आदरणीय सुरेन्द्र जी, बहुत ही खूबसूरत गजल ।
हार्दिक बधाई स्वीकार करे।
आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पट आपकी सुखनवजी का बहुत बहुत आभार। सादर
सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से
लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते
पूरी गज़ल दिलकश है पर ये शे र दिल का लुटेरा
बधाई !
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया और बेह्तर लिख़ने को प्रेरित करती है, आपकी सदाशयता को नमन संग आभार
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । इस ग़ज़ल का हर शे'र मुझे पसंद है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
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