For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

DR ARUN KUMAR SHASTRI
  • Male
  • Delhi ncr
  • India
Share on Facebook MySpace

DR ARUN KUMAR SHASTRI's Friends

  • Rachna Bhatia
  • Chetan Prakash
  • शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
  • बृजेश कुमार 'ब्रज'
  • pratibha pande
  • योगराज प्रभाकर
 

DR ARUN KUMAR SHASTRI's Page

Latest Activity

DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-99 (विषय: 'हार-जीत')
"विषय - हार जीत  शीर्षक - तु कौन  रवींद्र शहर के बड़े उद्योगपति लाला राम लाल का बेटा था । उसे हार जीत के खेल में  हमेशा जीतने की सनक सवार थी । हार को वो बहुत बड़े अपमान के तौर पे दिल में बिठा लेता था और अन्यत्र किसी न किसी बहाने से उस…"
Jun 30
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"जी शुक्रिया आपका मैं ये समझ रहा था कोई तो मिला सीखने के लिए जो सीधे 5 कक्षा से क्लास शुरू करेगा मगर ऐसा हो न सका । बहरहाल जो ताकीद की है अमल करेंगे । सादर । प्रिय कर्णप्रिय कभी न मिटने वाले मित्र , धन्यवाद "
Jun 23
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"शुक्रिया अमित भाई आपके नाम के पहले अक्षर समझ नहीं आए इसलिए दूसरे नाम अमित से संबोधित कर रहा हूँ । आपकी बात एक दम माकूल है मजा तो जब है जब मेरी लिखी इसी रचना को बेहर की गजल में तब्दील कर दें मुझे भी समझ आयेगा और आपका इस्तकबाल भी बुलंद हो जाएगा /…"
Jun 23
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"पहली कोशिश - गलती तो होनी है ही - ब माफी ख्वाहिश पे मिरी ये क्या बबाल कर दिया हम थे गरीब लेकिन कुछ तो बहरहाल कर दिया  आदमी हो मियां आदमी सी बात किया करो  ये क्या किया हर जगह को आपने पीकदान कर दिया  सांस घुट रही है देख कर…"
Jun 23
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146 in the group चित्र से काव्य तक
"विधा - नवगीत  शीर्षक - रसना रस से भरी  विषय - प्रदत्त चित्र आधारित   रसीले आम  आज कल सरे आम  मिल रहे ।  ओ रसिया तुम  काहे को मिलने की  जिद्द कर रहे ।  आम आम की कथा  है निराली ।  कोई…"
Jun 18
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152
"भाई जी उम्दा पेशकश बेहतरीन साहित्यिक परिवेश आनंद आ गया - एक अबोध बालक "
Jun 10
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152
"शीर्षक तुम अगर साथ हो विधा – नवगीत जिंदगी के सफर में तुम अगर साथ हो । तो क्या बात हो तो क्या बात हो । कोई मजबूरी नहीं कोई जिद्द भी नहीं । सिर्फ एहसास हो । मिल्कियत हो खुदा की इंसानियत के जज़्बात हों । तबियत से सभी बिंदास हो । यूँ उदासी से…"
Jun 10
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"तेज वीर साहिब वाह वाह आज कल के समाज का सच्चा आईना पेश किया कथा के माध्यम से काबिले तारीफ - "
May 31
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"प्रिय शेख साहिब आदाब , सुन्दर कथानक व दो मित्रों का  औपचारिक वार्तालाप मजा आया हम सभी के जीवन से जुड़े वक्तव्य । "
May 31
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"भाई लक्ष्मण जी सादर अभिवादन , आपके शब्द मुझ से शिक्षार्थी हेतु प्रोत्साहन , ऊर्जा का निमित्त हुए । "
May 31
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"प्रिय शेख साहिब - आदाब - आपका आभारी हूँ , आपकी समीक्षा आपके विवेक व ज्ञान अनुसार, न्यायोचित - मैं उसका सम्मान करता हूँ सादर नमन , तथोक्त हेतु कोई  आपत्ति नहीं । मुझ में  जैसी लेखन व सृजनात्मकता , क्षमता है वही लिख पाया हूँ , सादर । हाँ…"
May 30
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"दीखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर - वाली लोकोक्ति शायद ऐसे ही संदभों हेतु कही गई होगी - कुछ रचनाएँ विस्तार से नहीं उसके मौलिक भाव से चिह्नित होती व सराही जाती हैं सादर - डॉ अरुण कुमार शास्त्री "
May 30
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"* रानी बड़ी सयानी * मुँगस पुर , बिहार के मध्य वर्गीय परिवार की इकलौती मेधावी संतान कक्षा 12 वीं की छात्रा । सब कुछ ठीक ठाक था उसके जीवन में ।  अभी उसने फाइनल वर्ष की परीक्षा दी ही थी । रिजल्ट आने ही वाला था । एक दिन वो माँ के साथ रसोई में…"
May 30
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-151
"पहला प्यार अतुकांत कविता पहला प्यार जैसे बारिश की पहली फ़ुआर । कानों में झींगुर सी झंझानाती सखी की किलकार । तन को भिगोना मन का सुलगना धीमी धीमी अग्नि से जैसे रोटियों का सिकना टिप - टिप बूंदों की करती हो जैसे…"
May 14
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-150
""नयी फसल" फसल मेहनत से उगाई जाए यारो खाद पानी धूप देकर पकाई जाए यारो बहुत से हैं जमीं पर खरपतवार नाकारा वक़्ते वक़्तन उनपे आरी चलाई जाए यारो। आपदायें जगत में अचानक से धमक जाती हैं लगी उम्मीद की जो लगन मिटाती हैं मेहनती हांथों पे पड़े हुए…"
Apr 15
DR ARUN KUMAR SHASTRI posted a blog post

कुछ कर न सका

वो मुझसे दूर होती गई और मैं देख्ता रहा चुपचाप कुछ कर न सका दुख की सीमा मत पूंछो कितना कम्मपित था हृदय अरे मन भीषण सन्ताप से पीडित था कुछ कर न सका कुछ कर न सका हे नाथ वो मुझसे दूर होती गई और मैं देख्ता रहा चुपचाप मानव हृदय भी कैसा है कुछ सोच रहा कुछ होता है मानव हृदय भी कैसा है कुछ सोच रहा कुछ होता है बस में इसके कुछ भी तो नहीं बस पडा पडा ये रोता है वो दूर गई जाती ही रही कुछ कर न सका कुछ कर न सका हे नाथ शंकित मन से जब भी तुम कोई कार्य करोगे ढीले मन से तुम आधे अधूरे से होकर…See More
Apr 12

Profile Information

Gender
Male
City State
DELHI NCR
Native Place
DELHI
Profession
EMINENT CONSULTANT
About me
LOVE THY GOD AND HUMANITY VASUDHAIV KUTUMBKAM

DR ARUN KUMAR SHASTRI's Photos

  • Add Photos
  • View All

DR ARUN KUMAR SHASTRI's Blog

कुछ कर न सका

वो मुझसे दूर होती गई

और मैं देख्ता रहा चुपचाप

कुछ कर न सका

दुख की सीमा मत पूंछो

कितना कम्मपित था हृदय अरे

मन भीषण सन्ताप से पीडित था

कुछ कर न सका

कुछ कर न सका हे नाथ

वो मुझसे दूर होती गई

और मैं देख्ता रहा चुपचाप

मानव हृदय भी कैसा है

कुछ सोच रहा कुछ होता है

मानव हृदय भी कैसा है

कुछ सोच रहा कुछ होता है

बस में इसके कुछ भी तो नहीं

बस पडा पडा ये रोता है

वो दूर गई जाती ही रही…

Continue

Posted on April 10, 2023 at 1:30am

प्रतिकर्ष

तेरे आकर्षण का पल पल प्रतिकर्ष सताता है

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

नदिया के पास जाऊं तो शीतल हो जाऊं

साथ दो अगर तो मैं मुस्कान बन जाऊं //

आकर्षक सा छद्म आव्हान मुझे बुलाता है //

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

तुमसे कहने का मैं कोई मौका न छोड़ता

बस एक इशारा मिलता तो ही तो बोलता //

ऊहा पोह के सागर में अब गोता खाता हूँ

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

दर्द की बात न करूंगा दर्द अब बेमानी हुआ

चाय…

Continue

Posted on February 2, 2021 at 4:45pm — 2 Comments

एक नज़्म - बे - क़ायदा

वक़्त मिलता है कहाँ

आज के मौसुल में

रक़ीबा दर - ब - दर

डोलने का हुनर मंद है

ये ख़ाक सार

इक अदद पेट ही है

जिसने न जाने कितनी

जिंदगियां लीली है

तुखंम उस पर कभी भरता नहीं

हर वक्त सुरसा सा

मुँह खोल के रखता है

न जाने किस कदर

इसमें ख़ज़ीली हैं।

ईंते ख़ाबां मुलम्मा कौन सा

इस पर चढ़ा होगा

दिखाई भी तो नहीं देता

मगर इक बात मुझको

इसके जानिब ये ज़रुर कहनी है।

अगरचे ये नहीं होता

बा कसम ये दुनिया नहीं होती

ये जो…

Continue

Posted on February 2, 2021 at 4:30pm

नज़्म

बेबाक दिलबरी का आलम न पूँछिये। 

हम से मोहब्बत का बस हुनर सीखिये ।

दिल में लगी हो आग तो सेक लीजिये। 

वरना लगा के दाग यूँ सितम न कीजिये। 

तारीफ़ कीजिये या के…

Continue

Posted on January 25, 2021 at 10:00pm — 2 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:52pm on February 1, 2021, Samar kabeer said…

जनाब अरुण कुमार जी,ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका धन्यवाद ।

At 12:39pm on September 12, 2020,
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
said…

कृपया अपनी रचना यहाँ पोस्ट करें:

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/119-1?xg_source=activity&xg_raw_resources=1

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"अच्छी रचना हुई है जनाब शहज़ाद उस्मानी जी। बधाई स्वीकारें"
1 minute ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"संक्षिप्त और गूढ़। बहुत अच्छी रचना हुई है आदरणीय । सार सबका एक है पर मैं ने गड़बड़ कर दी । वाह"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आरंभ है प्रचंड ========= कस्बे के रेलवे पार्क में रोज घूमने आने वाले समूह के सदस्यों के मध्य…"
1 hour ago
Samar kabeer left a comment for Rahul Solanki
"ओबीओ पटल पर स्वागत है आपका डॉ. राहुल सोलंकी जी ।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"'मतलब' और 'मतलबी'! (लघुकथा):  "ज़रा ग़ौर फ़रमाइयेगा जनाब, शब्द…"
4 hours ago
Rahul Solanki is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति आदरणीया जी । लघु कथा की लम्बाई कुछ अधिक लगी । सादर नमन"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"स्वागतम"
22 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-159 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"शुक्रिया अमित जी।"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"वाहह वाह "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतला और…"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service