परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 151 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |
इस बार का मिसरा जनाब एहतिशाम 'अख़्तर' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |
'कोई मिलता नहीं दोस्ती के लिए'
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
रदीफ़ --के लिए
क़ाफ़िया:-(ई का)
दुश्मनी,आदमी,रौशनी,ज़िन्दगी,किसी,सादगी,गली आदि
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 जनवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 जनवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
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मंच संचालक
जनाब समर कबीर
(वरिष्ठ सदस्य)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय नाथ सोनांचली जी नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका।
आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी नमस्कार। ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार आपका।
आ. दिनेश जी, इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें
आदरणीय zaif जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु आभार आपका।
आदरणीय दिनेश जी, अच्छी गज़ल हुई है।मुशायरे में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।
आदरणीय dandpani nahak भाई
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।
यह शे'र बहुत पसंद आया
दोस्तो सिर्फ़ कहने की ये बात है
कोई मरता नहीं है किसी के लिए
___________सादर _________
सादर अभिवादन स्वीकार करें दण्डपाणि नाहक जी। दूसरा व चौथा शे'र पसन्द आया।बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय नाहक जी नमस्कार
बहुत ख़ूब कही ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिए
सादर
आ. दण्डपाणी जी,
ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है. मैं यह कहूँगा कि आप कि क्षमता से थोड़ी कमतर लगी रचना.. शायद आपने समय नहीं दिया पूरा.
जैसे ..
मयक़दे में भी मौजूद है वो ख़ुदा.... वो ख़ुदा मयक़दे में भी मौजूद है ..
ऐसे ही छोटे मोटे बदलाव अशआर की गैयता बढाते हैं,
सादर
जनाब नाहक़ जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय दंडपाणी नाहक जी ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास। आदरणीय निलेश जी से सहमत हूं।
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई जनाब। बहुत बढ़िया अशआर हुएँ हैं।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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