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आ० जवाहर लाल सिंह जी ,फिल्म तो नहीं देखी पर आपकी इस समीक्षा से देखने की इच्छा जरूर हो गई :-)))))
किसी विशेष तबके के लिए मनुष्यों के मन में अलग ही धारणा बनी होती है जिसे वो उसी रूप में देखना चाहता है चाहे वो फिल्म ही क्यूँ न हो ..जितना मैं समझ पाई शायद यही इस लघु कथा का मूल तत्व है | बधाई आपको
बहुत खूब लघुकथा हुई है आदरणीय जवाहरलाल जी ! बधाई
आभार आदरणीया कांता रॉय जी!
आदरणीय जवाहर जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. प्रदत्त विषय को इस प्रस्तुति से जोड़ नहीं पाया. सादर
आदरणीय मिथिलेश जी, हो सकता है मैं स्पष्ट नहीं कर पाया जैसा कि प्रतिक्रियाओं से जाहिर हो रहा है ...आगे बेहतर करने की कोशिश करूंगा या सुझावों के अधर पर संशोधन के लिए निवेदन करूंगा ..सादर!
शाहजहाँ की मिसाल दी जाती है प्रेम के लिए ,और भारतीय शाहजहाँ है दशरथ मांझी , अंत कुछ और स्पष्ट हो जाता तो क्या ही बात थी ,आ० जवाहर लाल जी
आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी, आपके सुझाव पर विचार करूंगा और संशोधन के लिए निवेदन करूंगा. आपकी सुझावात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, यह रचना लघुकथा तो नहीं बन पाई है। परिचर्चा ही बनकर रह गई है। इस पर थोडा समय और दिया जाए तो अच्छी लघुकथा बन सकती है।
जी आदरणीय विनोद khanagwal जी, मुझे भी अब लग रहा है कि मैंने प्रस्तुति ठीक ढंग से नहीं दी ...कोशिश करूंगा बेहतरी के लिए ...सादर!
आदरणीय जवाहर भाई, आपकी प्रस्तुति में रपट की सूचनात्मकता तो है लेकिन रचना की कथात्मकता कहाँ है ?
शुभेच्छाएँ
मंथन
बरगद के पेड़ पर लटके कुछ भूत बात चीत में व्यस्त थे I
"चलो ,आज सब ये बताएँगे कि उनके भूतिया जीवन में सुख के क्या मायने हैं " एक बुजुर्ग भूत बोला I
"मेरे लिए सुख के मायने हैं ..एक घने ,बिना भीड़ भाड़ वाले बरगद में चैन से लटके रहना I पर अपने टाइम से पहले यहाँ आने की जल्दी दिखाने वालों ने बरगदों में कितनी भीड़ बढ़ा दी है" एक थका हुआ सा भूत चिढ़ कर बोला I
"और मेरे लिए सुख की परिभाषा है ,..इन बाबा ,ओझा और तांत्रिकों से मुक्ति.. , धुआं करके ,चिल्ला चिल्ला के कितना तंग करते हैं ये लोग " एक उत्तेजित सा दिखने वाला सींकिया भूत बोलाI
तभी एक 19 .20 वर्ष का भूत, धीरे धीरे सुबकने लगा I ये अभी तीन चार दिन पहले ही आया था इस बरगद पर I
"आप सब भूतिया सुख पर चर्चा कर रहे हैं ,पर अगर वो लोग यहाँ आ गए और अपनी नापाक हरकतें यहाँ भी शुरू कर दीं तो ....,इसी डर से मरा जा रहा हूँ मैं " वो रोते रोते बोला I
"कौन लोग बेटा" ? बुज़ुर्ग भूत ने पूछा I
"वो ही लोग जिन्होंने मुझे जन्नत का लालच देकर मानव बम बना दिया था I बहुत खतरनाक लोग हैं वो..,अपनी अम्मी और बहन के बारे में सोचता हूँ तो ...." वो फूट फूट कर रोने लगा I
सारे भूत हवा में रेंगते हुए धीरे धीरे उसके आस पास जमा हो गए I उन सब के चेहरे पर भी डर साफ़ नज़र आ रहा था I
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