आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत अच्छी सन्देश परक सबक देने वाली प्रस्तुति है शक बर्बादी का द्वार खोलता है ये वो चिंगारी है जिसको दूसरे हवा देते हैं किन्तु समझदार वही है जो आँखों देखी बात पर विश्वास करे बात की जड़ तक जाए तब विश्वास करे |
बहुत बहुत बधाई आद० गोविंद पंडित जी
अच्छी लघुकथा है भाई गोविन्द पंडित जी, बधाई स्वीकारेंI लघुकथा को पूरी तरह विवरण में नहीं लिखा जाता, यानि इस लघुकथा की तरह हर बात लेखक स्वयं नहीं करता बल्कि काफी कुछ पात्रों के माध्यम से भी कहलवाया जाता हैI यह लघुकथा वर्तमान स्वरुप में सपाटबयानी का शिकार होकर रह गई है जिसे अच्छा नहीं माना जाताI बहरहाल अभ्यासरत रहें प्रयासरत रहें तथा मँच पर इस विधा से सम्बंधित सामग्री/जानकारी का लाभ उठायेंI
सुन्दर कथा ,मजहबी आक्रोश रिश्तों को कितना नुक्सान पहुँचा रहा है इसका अच्छा चित्रण है ..बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय गोविन्द पंडित जी
हार्दिक बधाई आदरणीय गोविंद जी! आपका प्रयास बेहतरीन है!
बहुत ही दुखद प्रसंग को संदर्भित किया है आपने आदरणीय गोविन्द जी . लघुकथा पर आपका ये प्रयास सराहनीय है . बधाई प्रेषित है .
आ.गोविंद जी बहुत अच्छी सन्देश परक सबक देने वाली प्रस्तुति के लिए बहूत बहूत बधाई आपको. "मिशाल" को "मिसाल" कर लीजिएगा
सुरंग
" माँ , आप तो चित्रा के बारे में जानती है सब कुछ , तो अब किस बात का संशय है? "
अभि के कहते ही उसने चित्रा की ओर देखा।
" हाँ , बहुत खूबसूरत है। इसमें मुझे मेरी खोई बेटी नजर आती है। "और भावातिरेक में बह गई।
" आँटी , मै चाय बना लाऊँ "
" नहीं , रहने दो ,मै बना लाती हूँ "
" आप तो रोज बनाती है।आज मै बना लाती हूँ ?"
मन भँवर में फँसा हुआ था । क्या करें ,होने दे जो होने वाला है। दायित्व-विहीन हो जाये । बेटे के व्याह का सपना ,बहू की पीली हथेली , वर्षों से आँखों के सामने नाचती थी। स्वप्न पूरा होने के लिए आज सामने हैै। इजाज़त उसे देनी होगी।
" अभि ,तू ऐसा कर ,बाज़ार से कुछ मीठा ले आ।" अचानक जैसे कुछ सूझ गया।
" आँटी , रहने दीजिये ना ! "
उसके हाथों को धीरे से दबा दिया। " जाने दे उसे , पढ़-लिख कर इतना बड़ा बन गया लेकिन अक्ल नाम का नहीं ! जा , मीठा लेकर आ ! "
वह झुँझलाकर सीढ़ियों की तरफ निकल गया।
" मै जानती हूँ कि तुम दोनों स्कूल के दिनों से दोस्त हो "
" जी , आँटी "
" कितना जान पाई हो अभि को अब तक ? "
" अभि ? वे एक बहुत अच्छे इंसान है। "
" सही कह रही हो। आजकल के लड़को के मुकाबले वह बहुत अच्छा है । शराब- सिगरेट कुछ नहीं पीता, आज तक कभी किसी लड़की को भी नहीं छेड़ा है। "
" जी , आँटी , मै उनसे बहुत प्यार करती हूँ "
" हाँ , तुम दोनों की नौकरी भी अच्छी है "
" जी, इसलिए तो हमारे विचार भी मिलते है "
" हाँ ,तुम दोनों के विचार मिलते तो है लेकिन एक बात है उसकी ..."
" क्या आँटी ,कौन सी बात ?"
" तुम उसके साथ विधिवत विवाह करो ,यह मेरा सपना था लेकिन मै नहीं चाहती हूँ कि तुम उससे बँध कर रहो । क्या तुम लिव - इन में नहीं रह सकती उसके साथ ? "
" क्याs ! आपने यह क्यों कहा , ऐसा तो आज तक किसी माँ ने नहीं कहा होगा " वह भयभीत- सी हो उठी। मानो सांप सूंघ गया था !
" सुनो , उसकी हाथ उठाने की आदत है । वह बात - बात पर , मुझ पर अक्सर हाथ उठा लेता है । माँ हूँ , सहना मेरी क़िस्मत है लेकिन तुम् ...."
" क्या कह रही है आप ? लेकिन वे तो आपसे बहुत प्यार करते है "
" हाँ , वो प्यार भी बहुत करता है मुझे ! इसलिए तो तुमसे कहती हूँ .. " कहते ही अचानक से पसली की हड्डियों में फिर से दर्द जाग उठा ।
मौलिक और अप्रकाशित
आदरनीय कांता जी लघुकथा प्रवाह के साथ बहती हुई अचानक चौका जाती है. "उस की हाथ उठाने की आदत है," बड़ा हतप्रद लगा. सुंदर अपवाद स्वरूप बेटे की करतूत को बेपरदा करती रचना. बधाई .
आपको लघुकथा का पसंद आना मेरे लिए प्रोत्साहन का विषय है . आभार आपका तहेदिल आदरणीय ओमप्रकाश जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |