आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 68 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-69
विषय - "रिमझिम"
आयोजन की अवधि- 08 जुलाई 2016, दिन शुक्रवार से 09 जुलाई 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 08 जुलाई 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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शुक्रिया जनाब समर कबीर साहिब।
तारीफ हेतु शुक्रिया जनाब शहजाद जी ।
आद० पवन जैन जी शिल्प पर सधे हुए सुन्दर हाइकू
हार्दिक बधाई आपको
अाअरणीय सुधेन्दु जी विषय आधारित नवगती शैली में आपकी रचना पढ़ी मुखड़ा़ा बहुत अच्छा लगा किन्तु अंतरों में मात्रा क्रम अलग लगा जिससे प्रवाह बाधित हो रहा है हमारा विचार है अंतरों में भी शब्द कलों के साथ एक समान मात्रा भार होना चाहिये जिससे गेयता बाधित नहीं होती । अधिक तो विद्वत जन ही बतायेंगे । सादर
आदरणीय सुधेन्दु जी चन्दन सा महका कर मन को, बरसे काले मेह ,बूँद-बूँद में व्यथा समेटे,दहके कोई देह. एन पंक्तियों के खुबसूरत भावो के लिये आपको बहुत- बहुत बधाई.
आ. सुधेंधू ओझा जी, आपकी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आपको !
प्रियतम नेह झलकती आँखें
सम्मोहित कर जाती हैं
तृप्ति मिले जो उनको मुझसे
सौ बार मिटूँ समझाती हैं
इस कारण ही हुई सखी मैं
तज कर देह, विदेह
चन्दन सा महका कर मन को
बरसे काले मेह
बूँद-बूँद में व्यथा समेटे
दहके कोई देह
इस कविता की सबसे सुन्दर पंक्तियाँ...इतनी ह्रदय स्पन्दनी रचना के लिए अंतरतम से स्नेह और साधुवाद...!!!
सुंदर भावपूर्ण रचना आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी. बहुत-बहुत बधाई. सादर.
चन्दन सा महका कर मन को
बरसे काले मेह
बूँद-बूँद में व्यथा समेटे
दहके कोई देह...प्रदत्त विषय को सुन्दर भावों में प्रस्तुत किया है आपने.. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुधेंदु ओझा जी ...सादर
जनाब सुधेंदू साहिब , प्रदत्त विषय पर सुन्दर रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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