आदरणीय साथिओ,
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रोज़मर्रा घरेलू जिंदगी से कुछ हलके फुल्के क्षण चुरा कर विषय को अच्छी तरह परिभाषित किया है भाई सुनील वर्मा जीI बधाई स्वीकार करेंI
उन्नीस से इक्कीस वाह वाह ..वैवाहिक जीवन में इसे खट्टे मीठे अनुभव होते रहते हैं बहुत रोचक लघु कथा हुई सुनील भैया दिल से बधाई लीजिये
यह 'उन्नीस' से 'इक्कीस' होने की लड़ाई है, तू नही समझेगी.."// स्त्रियाँ भोली होती है एकदम से गुस्सा हो जाती हैं और एकदम मान भी जाती है , और पति ये खूब समझते भी हैं ,... सुन्दर रचना ,सहज ढंग से कही गई ..बधाई आदरणीय सुनील जी
मुहतरम सुनील साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती
सुंदर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----
पति-पत्नी के रिश्तों में मिठास भरने के तरीके को समझाने वाली रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें भाई सुनील जी| सादर, टंकण की छोटी-मोटी त्रुटियाँ हैं, जिनसे आपकी अधिकांश रचनाएँ मुक्त रहती हैं, //समझ गये थे की// //कि//, //सीखाते// - //सिखाते//, //बदले में पति के जवाब की प्रतिक्षा // - //पति के जवाब की प्रतीक्षा// ...| अंतिम पंक्ति ने बहुत प्रभावित किया, मुहावरे के अनुसार "बीस" का अर्थ नॉर्मल होता है और रिश्तों का सामान्य रहना ही ज़रूरी है|
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब, अनिवार्यता के अतिरिक्त मेरे अनुसार 19-20-21 ही रचना की थीम है| सवेरे पति ने पत्नी को ड्राइविंग सिखाते समय उन्नीस बोल दिया, जिससे पत्नी को इतना आघात पहुंचा कि वह चुप हो गयी, आम तौर पर पति-पत्नी अकेले हों तो पत्नी कुछ न कुछ उत्तर ज़रूर देती है, (अन्य लोगों के समक्ष चाहे चुप रह जाये)| यहाँ पति की भी गलती नहीं थी क्योंकि यदि गाड़ी खम्बे को छू गयी है तो स्क्रेच लगकर गाड़ी को नुकसान हुआ ही होगा और बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी| पत्नी ने इससे स्वयं को अपमानित महसूस किया, जिसे पति ने घर के वातावरण से ताड़ कर अपने रिश्तों को बीस (नॉर्मल) रखने के लिए, पत्नी को इक्कीस कहा| मैंने अपनी टिप्पणी की सबसे पहली पंक्ति में //अनिवार्यता के अतिरिक्त// का इसलिए प्रयोग किया है क्क्योंकी इस तरह के कथानक पर थीम और भी कुछ हो सकती है, लेकिन मेरे अनुसार यह थीम भी रचना के सन्देश को संतुष्ट कर रही है| सादर,
घर में आपस में सामंजस्य बिठा परिवार के सदस्य की अपने भाव से नाराजगी दूर कर का प्रयास किया जाय, यह समझाने में कहानी सफल है | हार्दिक बधाई श्री सुनील वर्मा जी
हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील जी।पति पत्नि की नौंक झौंक के माध्यम से प्रदत्त विषय को सार्थक करती बेहतरीन प्रस्तुति।
आदरणीय सुनील जी बहुत ही रोचक प्रस्तुति है , कमाल की सोच को प्रदर्शित करती इस रचना के लिए ढेर सारी बधाई सादर
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