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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-82

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 82वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब जॉन एलिया साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो"

मुफ़ाईलुन   मुफ़ाईलुन    फऊलुन  

   1222       1222        122

(बह्र: हजज मुसद्दस् महजूफ)
रदीफ़ :- है? नहीं तो 
काफिया :- अत (शिकायत, आफत, दिक्कत, उल्फत, मुसीबत आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 अप्रैल दिन गुरूवार को हो जाएगी और दिनांक 28 अप्रैल  दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 अप्रैल दिन गुरूवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर नमन जी। उम्दा गजल कही है. हर शेर बढ़िया हुआ जी।बहुत बहुत मुबारकबाद जी।

आद० सुरेन्द्र इंसान  जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से शुक्रिया |

फलो के वास्ते पत्थर से मारें  

सही क्या ये रिवायत है? नहीं तो

 

किसी के काट के पर फिर उड़ाना

कहो क्या ये शराफत है? नहीं तो 

वाह वाह आदरणीया राजेश जी,,,  बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है 

आद० गुरप्रीत सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से शुक्रिया |

वाह, क्या बात है मुरस्सा ग़ज़ल हुई है आदरणीया राजेश दीदी बहुत बहुत बधाई आपको

आद० शिज्जू भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया तहे दिल से आभारी हूँ |

आदरणीय राजेश मैम, बहुत ही शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को। इस उम्दा प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

यहाँ तो दिल सुलगते नफरतों में

शरारों की जरूरत है? नहीं तो

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत  उम्दा ग़ज़ल हुई है बधाई क़ुबूल कीजिये 

तुम्हारे पास दौलत है ? नहीं तो

ये दौलत ही इबादत है ? नहीं तो |

अजी खुद को समझते ऊँट जैसा

कभी देखा भी पर्वत है ? नहीं तो |

हमें उलझाए रक्खा भाषणों में

शराफत या शरारत है ? नहीं तो |

कहो दिल पे जरा तुम हाथ रख के

तुम्हें हमसे मुहब्बत है ? नहीं तो |

हमारी कट रही है मुफलिसी में

तुम्हारी रोज दावत है ? नहीं तो |

तुम्हारे रंग-महलों में कहीं पे

हमारी भी जरुरत है ? नहीं तो |

सभी से खा रहे हो रोज गाली 

किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो |

(मौलिक और अप्रकाशित)

 

आदरणीय अरुण निगम जी आदाब, ग़ज़ल का हर शे'र बेजोड़, बेमिसाल । ग़ज़ल बहुत पसंद आई । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया आरिफ साहब .

मुह्तरम अरुण कुमार साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है , शेर दर शेर दाद के साथ
मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----

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