आदरणीय साथिओ,
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वाह बहुत सुन्दर ,प्रदत्त विषय को एक अच्छा कथानाक लेकर कुशलता से उभारा है आपने , कहीं कहीं संवाद बेवजह बढ़ गए हैं ,, थोड़े से सम्पादन से कथा और भी निखर आएगी .....हार्दिक बधाई इस रचना पर आदरणीया नयना जी
आ.प्रतिभा दीदी आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी ही मेरा संबल है.
आदरणीय ताई, प्रस्तुत लघुकथा बिखरी-बिखरी सी लगी । एक बार पढ़ कर जो स्पष्टता होनी चाहिए वो दिखाई नहीं दी । आपसे इससे कहीं की अधिक अपेक्षा रहती है । सादर
आ.दादा सच कहा आपने असल में मैं वक्त ही नहीं दे पाई.विचार आया लिखा और पोस्ट कर दिया. आयोजन से अलग रहना भी मेरे लिए एक गिल्ट लगता है सो बस लिख दिया जल्दी से लेकिन इसे संकलन मे सुधार के साथ लेकर आती हूँ. दर असल मे मेरी ही एक रचना "मूल्यांकन" के सिक्वल के रुप में दिमाग में आई थी और लिख गई.
उजाला
तत्व का हाथ थामे धुरी जैसे ही मॉल में प्रवेश की
"सुनो न पिक्चर शुरू होने में अभी देर है चलो पहले मुझे एक अच्छा सा डिओ लेना है फिर कुछ खाते है। शर्मा सर की क्लास मे बैठ कर बोर हो गए कोर्स पूरा करने के चक्कर में एक साथ तीन क्लास बाप रे जान लेंगे बच्चे की "।
धुरी डिओ की भीनी भीनी खुसबू में डूब कर बारीकी से चयन कर रही थी तत्व की आँखे उतनी ही तल्लीनता से चश्मे के अंदर से धुरी को निहार रही थी ।धुरी ने डेविड ऑफ का डीओ अपने हाथ पर लगाकर तत्व के सामने कर दिया
" देखो ये लिया है बताओ तो ज़रा कैसी है इसकी smell " ।
"तत्व ने धीरे से मुस्कराते हुए एक हल्का सा किस भी हथेली पर रखते हुए बोला" डिअर ये डिओ मेरी तरफ से गिफ्ट "।
"ओह्ह थैंक्स "
बोलते हुए धुरी खुश होकर मुस्कराते हुए आगे बड़ गई
बिलिंग काउंटर पर बिल करते वक़्त तत्व की नज़र सामान पर पढ़ी उसने आँखों के इशारे से कंधे उचकाते हुए बादाम और अखरोट के बड़े पैकेट की तरफ देखते हुए पुछा ....
धुरी तत्व की आँखों की तरफ देखते हुए उसका चश्मा उतारते बोली " यार फिर तुम्हारे चश्मे का ग्लास गन्दा हो गया तुमको कैसे साफ़ दीखता होगा"
अपने रुमाल से साफ़ करते हुए
" तुमने डिओ गिफ्ट कर दिया तो डिओ के बचे पैसो से मैंने पापा के लिए बादाम अखरोट ले लिए इस उम्र में उनकी आँखे, घुटनो और दिमाग के लिए बहुत ज़रूरी है"
कहते हुए धुरी ने तत्व की आँखों में चश्मा लगा दिया । साफ़ चश्मे से अब तत्व को धुरी का चेहरा नहीं चलते वक़्त पापा का चेहरा नज़र आने लगा.
इस बार जब घर गया था तो पापा जब अपनी आँखे डॉ की दिखाने गए तो वो भी साथ था डॉ ने पापा को बादाम और अखरोट के फायदे बताते हुए पापा को खाने के लिए कहा था ।पापा ने चलते वक़्त 1500 तत्व को अलग से दे दिए थे।
"ये कहते हुए इतनी पढाई करते हो आँखों पर बहुत जोर पड़ता। है बादाम और अखरोट ले कर खाना " ।
तभी धुरी के शब्द कानो से टकराये " वो हाथो को झकझोरते हुए बोली कहाँ खो गए अब साफ़ साफ़ दिख रहा है या नहीं बोलो तो ......
सही कहा .. नामों का चयन बहुत संजीदगी से किया है आपने आद. अर्चना जी . सुंदर लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई
आ. अर्चना जी, प्रदत्त विषय पर लघुकथा कहने का अच्छा प्रयास है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.
1. टंकण त्रुटियाँ बहुत ज़यादा हैं.
2. //डेविड ऑफ का डीओ // मुझे नहीं लगता कि उत्पाद का नाम देने की आवश्यकता थी.
3. कहानी का शीर्षक कामचलाऊ है.
4. लघुकथा में कोई सरप्राइज एलिमेंट नहीं है.
सादर.
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