परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 94 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक़ गोरखपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"मिले न छाँव मगर धूप ढल तो सकती है "
1212 1122 1212 22
मुफ़ाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन
(बह्र: मुज्तस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आ0 लक्ष्मण धामी जी बहुत सुंदर ग़ज़ल। हृदय से बधाई।
आ. भाई बसुदेव जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
आ लक्ष्मण जी,
अच्छा प्रयास हुआ जिसके लिये बधाई आप को।
तस्दीक अहमद साहब की बातों का संज्ञान लें।
सादर
आ. भाई नीलेश जी, इस स्नेह के लिए आभार।
आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत ही अच्छी गजल आपने कही मुशायरे में शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूं सातवां शेर खास तौर पर पसंद आया सादर
आ. भाई रवि जी, गजल की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमन। बहुत ही अच्छी गजल आपने कही शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूं।
मेरे ख्याल से इस ग़ज़ल का सबसे अच्छा शेर यह है।
मिलो न हँस के जमाना खराब है साहब
भले ही बात हो झूठी उछल तो सकती है।
आ. भाई सुरेन्द्र जी, इस स्नेह के लिए आभार ।
आदरणीय लक्ष्मण साहिब बहुत प्यारी ग़ज़ल कही आपने ,शेर दर शेर मुबारकबाद ।
आ. सुनन्दा जी, गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आपको हार्दिक बधाई
आ. भाई मुनीष जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |