परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 103वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अहमद फराज़ साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"हर बार दूर जा के सदाएँ मुझे न दो "
221 2121 1221 212
मफ़ऊलु फाइलातु मफाईलु फाइलुन
(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 जनवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 जनवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आद० मुनीश तन्हा भैया बहुत खूब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद देती हूँ
जनाब दण्डपाणि 'नाहक़' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरनीय जी,बहुत सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई कुबूल करें ।
दण्डमणि सहाब अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई
आदरणीय दंडपाणि जी अच्छी गजल आपने कहीं मुबारकबाद पेश करता हूं
आदरणीय दंडपाणी साहब, मुशायरे में अच्छी ग़ज़ल की पेशकश पे दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर.
अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय दण्डपाणी नाहक जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय जनाब दण्डपाणि 'नाहक़' साहब सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई क़ुबूल करें सादर
खूबसूरत ग़ज़ल है ...
कर कर के इंतज़ार ... कमाल का शेर है ... नए अंदाज़ का शेर ... बहुत बधाई ...
आदरेय दण्डपानी साहिब,अच्छी ग़ज़ल कही है,बधाई आप को
जनाब दण्डपाणि ' जी अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई
आदरनीया बहन जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई हो
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