For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-47

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 47 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा-ए-तरह जिस ग़ज़ल से लिया गया है उसके शायर हैं जनाब दानिश 'अलीगढ़ी' | पेश है मिसरा-ए-तरह ........

 

"फूल कौन तोड़ेगा डालियाँ समझती हैं"

212 1222 212 1222

फाइलुन मुफाईलुन फाइलुन मुफाईलुन

(बह्रे हज़ज़ मुसम्मन् अशतर)

रदीफ़ :- समझती हैं 
काफिया :- इयाँ (डालियाँ, पुतलियाँ, हिचकियाँ आदि )

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २४ मई दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २५ मई दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २४ मई दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 15831

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक धन्यवाद अखण्ड भाई.

लोकतंत्र की ताकत है सधे विचारों में 
क्यों न फिर हवाबाजी तालियाँ समझती हैं 

जाति-गर्व के किस्से खूब हैं चलन में पर 
वंश की प्रथा का क्रम दाइयाँ समझती हैं 

एकदम जड़ पर  वार  किया है ...

अदरणीय सौरभ सर उस्तादाना शायरी के लिए बहुत मुबारक बाद ..

अनन्य नादिर भाई, आपने जिस ढंग से मेरे शेरों के मर्म को छूआ है वह मुझे भी अभिभूत कर रहा है. आप उद्धृत शेरों के अर्थ स्पष्ट कर रहे हैं वह मरे प्रयासों के प्रति आपका सकारात्मक नज़रिया है.

हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई.

आदरणीय सौरभ जी मतले से लेकर मकते तक सभी शेर बहुत प्रभावी हुए हैं 

बोलते इशारों की खूबियाँ समझती हैं 
क्या कहें, छुपायें क्या.. लड़कियाँ समझती हैं ..................... समझदारी भरा ये मतला बहुत सुन्दर हुआ है :)

गिरह जिस संवेदनशीलता से लगी है उस पर जितनी भी तारीफ़ करूँ कम है 

जी रहीं भरोसों में निर्निमेष आँखों के 
चुभ रहे सवालों को मुट्ठियाँ समझती हैं.............इस शेर पर जितना कुछ आदरणीय प्रधान सम्पादक जी ने कहा है उसके आलोक में ये शेर बेमिसाल हुआ है ...मुझे भी बहुत पसंद आया 

सभी शेर पुरसर हुए है ..हार्दिक बधाई स्वीकारें

सादर 

आदरणीया प्राचीजी, ग़ज़ल विधा पर प्रयास करना ही इस आयोजन का मूल है. वही हमने किया. आप गुणीजनों को मेरा प्रयास रुचिकर लगा, इससे मैं भी आनन्द में हूँ.

एक बात, आदरणीया, मेरी ग़ज़ल में ’मक्ता’ तो है ही नहीं. शायद आपका इशारा मतले से आखिरी शेर को लेकर है.
एक बार फिर से, आपकी ज़र्रेनवाज़ी के लिए दिल से शुक्रिया.   
सादर

आदरणीय सौरभ जी सुन्दर ग़ज़ल के सुन्दर शेरों के लिए ढेर सारी बधाइयां प्रेषित हैं| मुझे सभी शेर पसंद आये|

राणाभाई, इस सदाशयता के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Kya behtareen sher kaha hai Saurabh ji............ for me..... One of the best of this Mushayara.... 

Kya rawangi hai......... Waah maja aa gaya............ 

बोलते इशारों की खूबियाँ समझती हैं 
क्या कहें, छुपायें क्या.. लड़कियाँ समझती हैं 

आदरणीय हरजीतसिंहजी, आपने जो कुछ कहा मेरे लिए ईनाम है. पाठक और श्रोता किसी के रचना-प्रयास को दिल से अनुमोदित करे, इससे बढ़ कर उस रचनकार और क्या चाहिये !
आपकाहार्दिक आभार भाईजी,

आदरणीय सौरभ जी, पूरी गज़ल लाजवाब कही है आपने। एक से एक खूबसूरत शेर। ये विशेष

बोलते इशारों की खूबियाँ समझती हैं 
क्या कहें, छुपायें क्या.. लड़कियाँ समझती हैं 

बाग में अभी आयी बच्चियाँ न जानेंगीं 
किन्तु खौफ़ का मतलब तितलियाँ समझती हैं  

कान में नरम सींकों के जिये सुहाने दिन 
हो गये कभी के गुम.. बालियाँ समझती हैं 

सौंप तो नहीं पातीं पर छुअन के लहजे से 
फूल कौन तोड़ेगा डालियाँ समझती हैं   

जी रहीं भरोसों में निर्निमेष आँखों के 
चुभ रहे सवालों को मुट्ठियाँ समझती हैं  

विषधरों ने चन्दन से मित्रता बना ली जो 
तो कसूर कैसा है बाँबियाँ समझती हैं 

लोकतंत्र की ताकत है सधे विचारों में 
क्यों न फिर हवाबाजी तालियाँ समझती हैं ? 

जाति-गर्व के किस्से खूब हैं चलन में पर 

वंश की प्रथा का क्रम दाइयाँ समझती हैं 

दिली दाद कुबूल कीजिये

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, मैं आपको आपकी रचनाओं के सापेक्ष सदा से ही समर्थ मानक मानता रहा हूँ. ये तो वही बात हुई कि इरेडियम की मानक छड़ ही किसी धातु के फट्टे को मानक मानने का अनुमोदन करे.
अपनी प्रस्तुत ग़ज़ल पर आपके उद्गारों को मैं आपकी अतिशय सदाशयता के रूप में देख रहा हूँ और आनन्द में हूँ.
सादर

  आदरनीय सौरभ  जी, 

 ग़ज़ल के सभी अश'आर ग़ज़ल को समझने के लिए भी है हमारे लिए 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service