119 members
27 members
393 members
171 members
174 members
मेरे अंजुमन में रौनकें बेशक़ कम होंगी ज़रूर
क्या सोच के दोज़ख़ की तरफ़ चल दिए हज़ूर
आपने तो एक बार भी मुड़के देखा नहीं हमें
न जानें था किस बात का अपने आपपे गरूर
यह वक़्त किसी के लिए रुक जाएगा यहाँ
निकाल देना चाहिए सबको दिमाग़ से यह फ़ितूर
चढ़ जाए एक बार तो हर्गिज़ उतरता ही नहीं
क़लम का हो शराब का हो या शबाब का हो सरूर
मासूम से थे हम 'दीपक' शायर 'कुल्लुवी'हो गए
हमसे क्या आप खुद से भी हो गए बहुत दूर
दीपक…
ContinuePosted on April 17, 2014 at 11:30am — 12 Comments
'दामिनी' चली गई दुनियां से
छोड़ गई कितने सवाल
क्या लड़की होना ही था
उसका घोर अपराध ?
जब तक फाँसी पर न लटकेंगे
उसके अपराधी
शांत न होगी रूह उसकी
कब होगा इन्साफ
कितने सपने संजोए होंगे
कितने देखे होंगे ख़्वाब
पूरे हुए,न रहे अधूरे
जिंदगी ने छोड़ा साथ
कानून की देवी की जो खुली न …
Posted on December 29, 2012 at 12:00pm — 5 Comments
Posted on December 28, 2012 at 11:31am — 6 Comments
(फाँसी से कम नहीं )
इन्हें फाँसी पर लटका दो
या गोलियों से मरवा दो
बलात्कारियों की रूह काँप जाए
इन्हें ऐसी कड़ी सजा दो
इन दरिंदों को जिंदा न छोड़ो
पहले इनके हाथ पाँव तोड़ो
जिंदा सूली पर लटका दो
लाश चील कव्वों को खिला दो
इनके घिनोने जुर्म की
और सज़ा न कोई
शर्मसार है भारत माँ
माएँ फूट फूट कर रोई
हद कर दी हैवानियत की
जली होली इंसानियत की
कड़े कर दो कानून नियम
जलाओ चिता शैतानियत…
Posted on December 19, 2012 at 12:34pm — 4 Comments
swagat hai aapka
'कुल्लवी' जी अभिवादन और स्वागत है आप का मित्र बनने पर .
Thanks Kulluvi Saheb, your appreciation of my writing is very valuable to me. Regards
आदरणीय दीपक 'कुल्लवी' जी अभिवादन और स्वागत है आप का मित्र बनने पर ....आप के पिता श्री विद्रोही जी को भी मेरा नमन .
धन्यवाद कुल्लवी जी .
आपकी आभारी हूँ कुलवी जी , धन्यवाद
aadarniy dipak ji, sadar abhivadan.
aapka sneh mila , utsah badha. aap jaisi mahan hasti ka ashirvachan mere liye anmol hai. aap koyle ko hira kah rahe hain. aap jaise surya ki roshni se prakashit hone ka prayas karunga. abhar.
aadarniya mahoday, sadar abhivadan. aapne mujhe mitr banaya , abhar.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |