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सूबे सिंह सुजान
  • Male
  • kurukshetra,haryana
  • India
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सूबे सिंह सुजान posted photos
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"आपका हार्दिक धन्यवाद जी।"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार बहुत बहुत धन्यवाद। मुझसे मिलकर उसने मुझको और तन्हा कर दिया। इसे यूं पढ़ें। मक्ता में कुछ दिनों से, भूलने उसको लगा था मैं, "सुजान" इसको भी ऐसे। लिखने में त्रुटि थी"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"मुझसे मिलकर उसने मुझको और तन्हा कर दिया। इसे यूं पढ़ें। मक्ता में कुछ दिनों से, भूलने उसको लगा था मैं, "सुजान" इसको भी ऐसे। लिखने में त्रुटि थी"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार आदरणीय। बहुत बहुत धन्यवाद"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार आदरणीय"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"एक, दो जगह लिखने में गलतियां हो गई हैं।अब ध्यान दिया है। उनको कैसे ठीक करूं???"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान commented on AMAN SINHA's blog post क्या रंग है आँसू का
"बहुत सुंदर कविता"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"आदरणीय दयाराम जी आपका बहुत बहुत आभार जी।"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"अरे वाह वाह वाह बहुत खूब लिखा है"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान left a comment for Samar kabeer
"वाह वाह वाह बहुत खूब। ओ बी ओ"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"वाह वाह"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"अच्छी ग़ज़ल कही"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर ख्याल आए हैं"
May 27, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
कुरूक्षेत्र,हरियाणा
Native Place
करनाल
Profession
09017609226
About me
एक अध्यापक के साथ कवि हूँ।मुख्यतया ग़ज़ल लेखन करता हूँ।एक प्रथम हिंदी ग़ज़ल संग्रह 2007( सीने में आग) में प्रकाशित हुआ तथा विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं ।

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सूबे सिंह सुजान's Blog

ग़ज़ल : एक तन्हा ग़ज़ल रहा हूँ मैं

एक तन्हा ग़ज़ल रहा हूँ मैं

उसकी यादों में चल रहा हूँ मैं (1)

तेरी यादों में ज़िन्दगी जी कर,

ज़िन्दगी को मसल रहा हूँ मैं (2)

कैसी हो ज़िन्दगी बताओ तुम?

तेरे ग़म में उबल रहा हूँ मैं (3) 

प्यार में इक महीन सा काग़ज़,

भीग आँसू से गल रहा हूँ मैं (4) 

तुम मुझे देख मुस्कुराते हो,

सारी दुनिया को खल रहा हूँ मैं (5) 

वो मेरी राह में खड़ी होगी ,

इसलिए तेज चल रहा हूँ…

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Posted on May 3, 2020 at 8:00pm — 4 Comments

ग़ज़ल -:- ख़ुद ही ख़ुद को निहारते हैं हम

ख़ुद ही ख़ुद को निहारते हैं हम

आरती ख़ुद उतारते हैं हम

फिर भी वैसे के वैसे रहते हैं

ख़ुद को कितना सँवारते हैं हम

दूसरों का मजाक करते हैं

ख़ुद की शेखी बघारते हैं हम

सिर्फ़ अपनी किसी जरूरत में

दूसरों को पुकारते हैं हम

डाल कर दूसरों में अपनी कमी

दूसरों को विचारते हैं हम

जीतने से ज़ियादा आये मज़ा

जब महब्बत में हारते हैं हम

इस खुशी…

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Posted on March 22, 2020 at 2:02pm — 6 Comments

ग़ज़ल - गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

ग़ज़ल   

गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ

 

इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना

हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ 

चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं

बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ 

पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए

भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ. 

कम दिनों के लिए होते हैं वलवले

शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ   

अब न इंसानियत की हवा लग रही

इस तरफ आजकल बंद…

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Posted on January 25, 2019 at 6:27am — 4 Comments

ग़ज़ल - गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

              ग़ज़ल 

गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ

इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना

हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ

चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं

बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ

पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए

भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ

कम दिनों के लिए होते हैं वलवले

शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ

अब न इंसानियत की हवा लग…

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Posted on January 24, 2019 at 9:32pm — 7 Comments

Comment Wall (6 comments)

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At 10:10am on August 17, 2016, सूबे सिंह सुजान said…
Ji
At 8:07pm on February 10, 2014, Sarita Bhatia said…

आदरणीय भाई सूबे सिंह जी हार्दिक आभार 

मेरे प्रोफाइल पर सबसे पहला कमेंट भी आपने ही दिया था आशीर्वाद स्नेह बनाये रखें 

At 8:44am on March 6, 2013, Abhinav Arun said…

आदरणीय श्री सुजान जी आपकी सशक्त रचना "कच्चा रास्ता " को माह की श्रेष्ठ रचना का  पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई और साहित्य सेवा हेतु हार्दिक शुभकामनायें भी !!

At 11:41pm on March 5, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय श्री सुबे सिंह सुजान जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "कच्चा रास्ता" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको पुरस्कार राशि रु 1100 /- और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु), तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी

At 11:09am on August 29, 2012, Naval Kishor Soni said…

आपका आभार ।

At 6:36pm on August 26, 2012, Admin said…

तरही ग़ज़ल पोस्ट करने हेतु सर्वप्रथम मुख्य पृष्ठ पर फोरम से "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ को क्लिक कर ले, अथवा सीधे मुशायरा पोस्टर को भी क्लिक कर सकते है, उसके बाद खुलने वाले पृष्ठ पर मुशायरे के सम्बन्ध में नियम आदि की जानकारी के नीचे बने बड़े बाक्स में अपनी ग़ज़ल पेस्ट कर Add Reply को क्लिक कर ले | 

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Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
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"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

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