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रति भी तू,कामना भी तू,
कवि की सुंदर कल्पना है,
प्रेम से भरी मूरत है तू,
कुदरत का कोई करिश्मा है ...
सांवली रंगत,सूरत मोहिनी,
कातिलाना तेरी अदाएं है,
सात सुरों की सरगम तू,
फूलों की महकती डाली है....
नयन तेरे काले कज़रारे है,
लब ज्यूँ मय के प्याले है,
जिन पर हम दिल हारे है,
उल्फ़ते-राज़ ये गहरे है ....
हुस्नों-हया की मल्लिका…
ContinuePosted on February 12, 2014 at 12:30am — 15 Comments
उठती टीस हृदयतल से
क्यूँ ये बेरंगी लगती है
घाव अनंत देती कभी तो
उमंगों से जीवन भरती है....
कभी लगती रति कामदेव की
तो लगती कभी मधुशाला है
तिनका तिनका करके बनती
सुखद घरोंदा कभी लगती है....
लगती कभी नववधू जैसी
आलिंगन प्रेम का करती है
कभी नाचती गोपियों जैसी
मुरली मधुर जब सुनती है .....
फिर भी ये ज़िन्दगी है
जीने का दम भरती है
शुन्य से शुरू होती…
ContinuePosted on September 28, 2013 at 9:30pm — 12 Comments
बरसे बदरा नीर बहाये
ज्यों गोरी घूँघट शरमाये
चाल चले ऐसी मस्तानी
ज्यूँ बह चली पुरवा रानी
बादल गरजे प्रेमी तड़पे
झलक तेरी को गोरी तरसे
आजा अंगना दरस दिखा जा
नयन मेरे तू शीतल कर दे
ज्यूँ घटा का रूप लेके
यूँ लटें चेहरे पर छाई
मोती सी पानी की बूंदें
छलक रही चेहरे पर ऐसे
स्पर्श तेरा स्वर्णिम पाने को
पानी की बूँदें भी तरसे.
"मौलिक व…
ContinuePosted on July 18, 2013 at 10:30pm — 13 Comments
नींद गवांई,सुख चैन गवांया
अगर-मगर तेरी-मेरी में
समय गवांया ,बातों में
धन दौलत ने लोभी बनाया
ईमान गवांया नोटों में
पूत सपूत न बन पाया
बस ध्यान लगाया माया में
दीन दुखियों की सेवा करता
पुण्य कमाता लाखों में
करता अच्छे कर्म अगर तो
तर जाता भाव सागर से
ईमान धर्म की राह…
ContinuePosted on July 11, 2013 at 12:34am — 15 Comments
जब तू था तो सूनापन नही था
इच्छा थी पर अरमान नही था
अश्कों में भिगो लिया दामन मैंने
प्यासी रहूंगी फिर भी सोचा नही था...
तेरी यादों से दिन बनते थे
और जुदाई से काली रातें
तेरे प्यार से ज़िन्दगी बनी थी
और बेवफाई से उखड़ी सांसे...
तेरे गम से मेरा गम जुदा कब था
तू नही समझा बस यही गम था
छीन लिया समय से पहले रब ने
जुदाई का गम क्या पहले कम था...
"मौलिक व…
ContinuePosted on June 30, 2013 at 7:30pm — 16 Comments
जिज्ञासाओ को छुती हुई
पल की खबर नही
ठूंठ की तरह खड़ी हुई
आज का पता नही
कल का ठिकाना नही
चल रही बेबाक सी
किसी का खौफ नही
बनती बिगड़ती फिर सवंरती
कैसी खोखली ये ज़िन्दगी
आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे
ताश के पत्तों सी बिखरी हुई …
ContinuePosted on April 15, 2013 at 12:00am — 15 Comments
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Comment Wall (10 comments)
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Respected Aarti ji:
A hearty welcome to you.
So nice to see you at OBO again after a long break.
Regards,
Vijay Nikore
धन्यवाद एवं स्वागतम आदरणीया आरती जी...
आरती जी,
यही तो खूबी है इस मंच की कि हम सभी एक दूसरे से सीखते हैं, अत: हमें भी आपसे बहुत कुछ सीखना है।
सदभाव के साथ,
विजय
आदरणीया आरती जी:
हरि ॐ ।
यह दिन आपके लिए शुभ दिन हो। मुझको मित्र कहने के लिए आपका धन्यवाद।
ओ बी ओ पर आपका स्वागत है। ऐसे ही साहित्य में रूचि लिए हुए मिलनसार सदस्यों
से यह समूह और अच्छा बन रहा है।
सादर,
विजय निकोर
:-)
swagat hai
आपका स्वागत है आदरणीया आरती जी ...धन्यवाद आपका
धन्यवाद आरती जी
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
आपका स्वागत है आरती जी
आरती जी ओ. बो. ओ. पर स्वागत है आपका, यहाँ आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. मैं तो कह-कह कर थक गया था ज्वाइन करने के लिए चलो देर आये दुरुस्त आये.