वे विचार करते हैं
पर नहीं जनम लेता कोई नया विचार बाँझ मस्तिष्क से
इसी सोच विचार में बैठे रहने ने
अकड़ा दी है उनकी पीठ और गर्दन
कहीं से आती भी है आहट
किसी नए विचार की
तो उस पर ध्यान देने कि अपेक्षा
वो करते हैं प्रयास
अकड़ी गर्दन घुमा कर देखने का कि
ये आवाज़ कहाँ से आती है
तब जाके जान पाता हूँ मैं कि
सुनने से ज़यादा , उनके लिए महत्वपूर्ण है
देखना आवाज़ कि शकलो-सूरत
और इस तरह नहीं ले पाते
वे ' गोद ' किसी भी नए विचार को…
Posted on November 25, 2013 at 10:18pm — 10 Comments
नारी को दुर्गा, नारी को शक्ति, नारी को जननी , कह कर बुलाते हो
और जब वो नन्ही सी बेटी बन कर आये
इस खबर से क्यों तुम डर जाते हो…
जानते हो भलीभांति , जब खोली तुमने आँखें
तो पाया माँ का प्यार ,
बहन का दुलार
आगे किसी मोड़ पर जीवन-संगिनी भी मिली
सेवा समर्पण लिए
प्रश्न मेरा केवल इतना है तुमसे, लेकिन
क्या सीखा है तुमने ... केवल लेना ही लेना ???
तुमको तो बनाया है, सर्वथा-शक्तिशाली
उस सर्व-शक्तिमान ने
तभी तो…
ContinuePosted on August 19, 2013 at 2:00pm — 5 Comments
सुध-बुध सारी भूल गयी, भूली जान-अजान,
कान्हा ने जब छेड़ दी, मधुर-मुरली की तान.
मुख पर छाए लालिमा, खिले अधर मुस्कान,
कान्हां जी को कैसा लागे राधा-राधा नाम.
जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत,
जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत.
लाज बचाई आपने, सुन अबला मन की पीर,
अबला अब सबला भयी , छोटो है गयो चीर.
दरस तुमरे पाने को, जुग-जुग जाते बीत,
भाग बढे सुदामा के, जो भये तुम्हारे मीत.
हर युग अवतार लिए, खेले क्या-क्या दांव,…
Posted on August 10, 2012 at 8:30am — 8 Comments
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janmdiwas ki hardik shubhkaamnaayein...
dhanyawad
सदस्य कार्यकारिणीअरुण कुमार निगम said…
आपके निमंत्रण हेतु धन्यवाद.
आपकी रचना को माह की श्रेष्ट रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई स्वीकारें अजय जी | हार्दिक शुभकामनाएं भी आपके लेखन को नित नयी ऊंचाई मिले !!!!!!!
आदरणीय अजय कुमार बोहत जी ,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की कविता "हिंसा" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है तथा ओपन बुक्स ऑनलाइन के मुख्य पृष्ठ पर आपके छाया चित्र के साथ स्थान दिया गया है,
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…