For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rahul Dangi Panchal's Blog – January 2015 Archive (7)

गजल- आन बान शान पर तो मर मिटो या मार दों!

२१२१ २१२१ २१२१ २१२



भारती की मूरती को आज फिर संवार दों!

आर्यवर्त की रिदा को दूध सा निखार दों!!



जिन्दगी ये देश की है देश पर निसार दों!

जितनी बार भी मिले कि उतनी बार वार दों!!



गाडते चलो अमर तिरंगे को सितारो तक!

मानचित्र हिन्द का ब्रह्माण्ड पे उभार दों!!



जो सिमट गये वतन की राह में वे कह गये!

आन बान शान पर तो मर मिटो या मार दों!!



लोग जो अभी तलक जगे नहीं जगा दो अब!

देश की गली गली में जाके तुम पुकार दों!!



पाश्च… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 6:26pm — 25 Comments

गजल-लोग अब आपका बोलते है मुझे!

212 212 212 212



आपके नाम से टोकते है मुझे!

लोग अब आपका बोलते है मुझे!!



रोज में इक नजर देखते भी नहीं!

रात में चाँद से पूछते है मुझे!!



जख्म के पेड को फिर हरा कर चले!

किस तराजू में वे तोलते है मुझे!!



मर गया हूँ मगर चैन अब भी नहीं!

आज तक भी कई कोसते है मुझे!!



नाम दिल से मिटा तो दिया पर सनम!

दर्द बेघर हुए घूरते है मुझे!!



लगता है सांस दो चार ही रह गयी!!

जिस नजर से सभी देखते है मुझे!!



पूछ 'राहुल'… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on January 20, 2015 at 9:10pm — 20 Comments

गजल- जान हो तुम मेरी जान लो जानेमन

212 212 212 212

एक है जान हम टुकडे दो जानेमन!
कैसे समझाए हम आपको जानेमन!!

हो नहीं सकते तुम दूर मुझसे कभी!
जान हो तुम मेरी जान लो जानेमन!!

तुम दुआ हो मेरी मेरे अरमान हो!
जिन्दगी बन्दगी तुम ही हो जानेमन!!

देख लूं जो तुझे साँस आ जाती है!
जाएँगे मर अगर तू न हो जानेमन!!

तुमको 'राहुल' पे अब भी यकीं गर नहीं!
चीर कर दिल मेरा देख लो जानेमन!!

मौलिक व अप्रकाशित!

Added by Rahul Dangi Panchal on January 16, 2015 at 10:26pm — 26 Comments

गजल- मुझे शायरी में पुकार दे!

११२ १२ ११२ १२



तु गजल में थोडा खुमार दे!

तु जरा सा और सँवार दे!!



तेरे लफ्ज तेरी जमीन है!

इन्हें आँसुओं से निखार दे!!



उसे भूल जा है जो बेवफा!

ये लिबास गम का उतार दे!!



यूं घुमा फिरा के न बात कर!

मुझे साफ साफ नकार दे!!



मैं बिगड गया मुझे डाँट माँ!

मेरी जिन्दगी को सुधार दे!!



या खुदा तु कह दे घटाओं से!

मेरे खेत को भी दुलार दे!!



कि मैं दफ्न हूँ मेरे शे'र में!

मुझे शायरी में पुकार… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on January 13, 2015 at 3:00pm — 44 Comments

गीत- जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है

२१२ २१२ २१२ २१२



जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है!

साल दर साल दिल का यही हाल है!!

मुझको तो इससे कुछ फर्क पडना नहीं!

ये गया साल है या नया साल है!!



स्याही किस्मत के उस पेज पर जा गिरी!

जिस पे तस्वीर थी मेरे दिलदार की!

या खुदा तुझसे ये क्या खता हो गयी!

मेरी किस्मत से वो अब जुदा हो गयी!

अब मुकद्दर मेरा दोस्त कंगाल है!

जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......



नाम ही है सुना मैनें देखी नहीं!

शक्ल से तो कभी क्या बला है खुशी!

है… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on January 6, 2015 at 10:30pm — 11 Comments

गजल - मेरा दिल है कि गम का कारखाना है!

१२२२ १२२२ १२२२

मेरा दिल है कि गम का कारखाना है!
जगह यह अब सनम का कारखाना है!!

वे आँखे जुल्फ़,पलकें, रंग,लब,भौंहे!
वो चहरा है कि बम का कारखाना है!!

नहीं है सच यहाँ कुछ भी जो दिखता है!
ये दुनिया बस वहम का कारखाना है!!

गई है माँ तु जिस दिन से खुदा के घर!
ये घर तब से सितम का कारखाना है!!

कि इंसां तो ख़ताओं का है इक पुतला!
खुदा 'राहुल' रहम का कारखाना है!!

मौलिक व अप्रकाशित!

Added by Rahul Dangi Panchal on January 3, 2015 at 11:00am — 21 Comments

गजल- वरना मेरा इबादत से रिश्ता नहीं!

212 212 212 212



मैं तो मरता हुँ पर प्यार मरता नहीं!

इश्क का भूत मन से निकलता नहीं!!



हाल क्या हो गया देख रो रो मेरा!

सबको दिखता है पर तुझको दिखता नहीं!!



किस गली किस शहर में कहाँ पे है तू!

दिल मेरा मुझसे अब ओर थमता नहीं!!



हो जो बस में मेरे तो मैं नफरत करूं!

क्या करूं आपसे प्यार घटता नहीं!!



लोग कहते है मौसम सुहाना है अब!

सबको लगता है पर मुझको लगता नहीं!!



साँस आती नहीं उसको देखें बिना!

उसको देखें बिना… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on January 1, 2015 at 9:56pm — 12 Comments

Monthly Archives

2021

2018

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
57 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service