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Anwar suhail's Blog – February 2015 Archive (2)

कितना कम चाहिए...

कितना कम चाहिए 

नून, तेल, गुड के अलावा 

फिर भी मिल नही पाता 

मुंह बाये आ खड़ी होती है 

लाचारी सी हारी-बीमारी 

डागदर-दवाई में चुक जाती है 

जतन से जोड़ी रकम 

जबकि हमारी इच्छाएं है कितनी कम...

कितना कम चाहिए

रोटी और कपड़े के अलावा 

फिर भी मिल नही पाता 

आ धमकता वन-करमचारी

थाने का सिपाही 

या अदालत का सम्मन 

और हम बेमन 

फंसते जाते इतना 

कि छूटते इनसे बीत जाती उमर

दीखती न मुक्ति की कोई डगर.....

(मौलिक…

Continue

Added by anwar suhail on February 26, 2015 at 10:08pm — 8 Comments

ये कैसी नियति

तुम चलाओ गैंती-फावड़ा 

काटो पत्थर, बनाओ नाली 

दिन है तो सूरज को घड़ी मानो 

और रात है तो गिनते रहो एक-एक प्रहर

कुत्ते कब भौंके 

सियार कब चीखे

मुर्गे ने कब बांग दी 

यही है तुम्हारी नियति....

तुम चलाओ छेनी-हथौड़ी 

तुम्हारे लिए बन नहीं सकतीं 

ऐसी यांत्रिक घड़ियाँ 

जिनमे काम के घंटों का हिसाब हो 

और आराम के पल का ज़िक्र हो...

तुम लिखो कविता-कहानी 

फट जाए चाहे 

माथे की उभरी नसें 

फूट जाए ललाई…

Continue

Added by anwar suhail on February 15, 2015 at 7:30pm — 7 Comments

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