सरकार ने सख्ती दिखाई.फिर से हेलमेट की दुकानें सज गई.गोविन्द ने भी कुछ पैसे जमाये और एक हेलमेट की दुकान सड़क के किनारे खोलकर बैठ गया. धंधा चल निकला.लोगों के सरों की हिफाज़त के सरकारी फरमान के चलते गोविन्द और उस जैसे कई बेरोजगारों को काम मिल गया. तभी एक दिन दोपहर के वक़्त एक अनियंत्रित ट्रक गोविन्द की दुकान पर चढ़ गया. तमाम हेलमेट सड़क पर इधर-उधर बिखर गए. पुलिस वाले उन्ही हेलमेटों के बीच गोविन्द के धड से अलग हुये सिर की तलाश कर रहे थे..
....... अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 23, 2012 at 10:00am — 5 Comments
राह में खड़े हो यूँ घर-बार बेच के,
Added by AVINASH S BAGDE on February 15, 2012 at 11:00am — 4 Comments
दिल लगाया.
वादे बहुत किये.
मोल चुकाया!
*
बाज,बाज है.
गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.
चालबाज है.
*
अजगर भी.
बैठ-बैठ के खाते.
अफसर भी!
*
रंग-बिरंगी.
गलियाँ जीवन की.
बड़ी बेढंगी!
*
खून खौलता.
मुट्ठियाँ भींच जाती.
मुख बोलता.
*
अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 11, 2012 at 10:30am — 8 Comments
छन्न पकैया-छन्न पकैया, जीवन तेरा- मेरा.
रोज डूबता सूरज इसमे, होता रोज सबेरा.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सांसें आती-जाती.
चलने का मतलब है जीवन,रुकना मौत कहाती.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण.
इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, कह गए ज्ञानी-ध्यानी.
अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, धर्म वही है सच्चा.
जिसे जानता वसुंधरा का, साधो, बच्चा-बच्चा.…
Added by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 8:00pm — 5 Comments
(१)
शक्तिशाली खूब बनो,साहस हो भरपूर.
विनम्रता के भाव ही,मन में रहे प्रचूर.
मन में रहे प्रचूर ,सादगी का गहना हो.
अपनी जरुरत की सरहद में ही रहना हो.
कहता है अविनाश,बढ़ेगी तब खुशहाली.
जीवन अपना और बनेगा शक्तिशाली.
(२)
भाई से भाई टकरा के होते है बरबाद.
दुश्मन के सारे मंसूबे हो जाते आबाद.
हो जाते आबाद,सभी तुम पर हंसते है.
टूटा घर दिखलाकर सब फिकरे कसते हैं.
कहता है अविनाश रोकिये जगत हंसाई
घर का झगडा घर में…
Added by AVINASH S BAGDE on February 5, 2012 at 1:00pm — 6 Comments
ग़ज़ल...
Added by AVINASH S BAGDE on February 2, 2012 at 4:30pm — 5 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |