212 2112 2112 222
सोच अच्छी हो तो मस्जिद या शिवाला देगी
तंग हो और अगर खून का प्याला देगी।1।
लाख अनमोल कहो यार ये हीरे लेकिन
पर हकीकत है कि मिट्टी ही निवाला देगी।2।
जब हमें भोर में आँखों ने दिया है धोखा
कौन कंदील जो पावों को उजाला देगी।3।
आशिकी यार तबायफ की करोगे गर जो
स्वर्ग से घर में नरक सा ही बवाला देगी।4।
आप हम खूब लडे़ खून बहाना मकसद
राहेरौशन तो जमाने को मलाला देगी।5।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 28, 2016 at 3:00pm — 3 Comments
2122 2122 2122 212
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दुश्मनों के डर को उसने अपना ही डर कर लिया
और दामन दोस्तों के खून से तर कर लिया ।1।
जब नगर में रह न पाए दोस्तो महफूज हम
आदिमों के बीच हमने दश्त में घर कर लिया ।2।
चोट खाकर भी हँसे हैं आँख नम होने न दी
सब गमों को आज हमने देखिए सर कर लिया ।3।
आपके तो पर परिंदों फिर भी क्यों लाचार हो
हर कठिन परवाज भी यूँ हमने बेपर कर लिया ।4।
कह न पाए बात कोई…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2016 at 12:31pm — 10 Comments
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जिसे राणा सा होना था वो जाफर बन गया यारो
सियासत करके गड्ढा भी समंदर बन गया यारो ।1।
हमारी सीख कच्ची थी या उसका रक्त ऐसा था
पढ़ाया पाठ गौतम का सिकंदर बन गया यारो ।2।
करप्सन और आरक्षण का रूतबा देखिए ऐसा
फिसड्डी था जो कक्षा में वो अफसर बन गया यारो ।3।
तरक्की है कि बर्बादी जरा सोचो नए युग की
जहाँ बहती नदी थी इक वहाँ घर बन गया यारो ।4।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 16, 2016 at 10:48am — 18 Comments
221 2122 2212 122
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मत पूछ किस लिए वो तेवर बदल रहे हैं
शह पा के दोस्तों की दुश्मन उछल रहे हैं l1l
होगी वफा वतन से यारो भला कहाँ अब
हुंकार जाफरों की शासन दहल रहे हैं l2l
हमको पता है लोगों शैलाब बढ़ रहा क्यों
दरिया के प्यार में कुछ पत्थर पिघल रहे हैं l3l
आँखों को सबकी यारों चुँधिया न दें कहीं वो
तम के दयार में से तारे निकल रहे हैं l4l
ताकत विरोध की तज अपनायी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 14, 2016 at 11:15am — 14 Comments
गजल/धूप
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करो तय दोस्तो थोड़ा जिगर में धूप का होना
मिटा सीलन को देता है कि घर में धूप का होना /1
दुआ मागी थी रिमझिम में जरा सी धूप तो दे दो
अखरता क्यों तुझे है अब डगर में धूप का होना /2
जहाँ देखो वहीं जलवा करें साए इमारत के
पता चलता किसे है अब नगर में धूप का होना /3
चलो आँगन में रख आए चटखती हड्डियों को अब
जरूरी है बुढ़ापे की उमर में धूप का होना…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2016 at 11:52am — 18 Comments
2122 2122 212
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कब यहाँ पर्दा उठाया जाएगा
कब हमें सूरज दिखाया जाएगा /1
थक गए हैं झूठ की उँगली पकड़
सच का दामन कब थमाया जाएगा /2
सब परेशाँ तीरगी से दोस्तो
कब दिया कोई जलाया जाएगा /3
है सुरक्षा खाद्य की कानून में
पर अनाजों को सड़ाया जाएगा /4
दूर महलों से खड़ी कुटिया में फिर
इक निवाला बाँट खाया जाएगा /5
यह समय है झूठ का कहते है सब
राम को रावण बताया जाएगा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2016 at 12:09pm — 16 Comments
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उसे तो मुक्त होना बस उसी की काहिली से है
कमी जो जिंदगी में यार वो उसकी कमी से है /1
जरा ये तो बताओ क्यों बुरा कहते हो किस्मत को
अगर है दूर मंजिल तो समझ लो बुुजदिली से है /2
मनुज सब एक से ही हैं नहीं छोटा बड़ा कोई
सभी का वास्ता केवल उसी इक रोशनी से है /3
जहाँ गुजरा था इक बचपन सुहाना यार उसका भी
उसी को छोड़ आया वो बहुत ही बेदिली से है /4
हकीकत आप समझो…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2016 at 10:55am — 8 Comments
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हुनर की बात है सबको गमों में यूँ हँसाना तो नहीं आता
सभी के हाथ यारो ये मुहब्बत का खजाना तो नहीं आता
है हसरत तो हमारी भी लगाएँ दिल हसीनों से जमाने में
हमें पर नाज कमसिन का जरा भी यों उठाना तो नहीं आता
हमेशा लौट आता कारवाँ गर्दिश का जैसे दोस्तों फिर फिर
कि वैसे लौटकर फिर से बुलंदी का जमाना तो नहीं आता
लगेगी जिंदगी कैसे सजा से हट किसी ईनाम के जैसी
सभी को यार होठों पर तबस्सुम को सजाना तो नहीं…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 10:57am — 15 Comments
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न कोई दिन बुरा गुजरे न कोई रात भारी हो
जुबाँ को खोलना ऐसे न कोई बात भारी हो /1
दिखा सुंदर तो करता है हमारा गाँव भी लेकिन
बहुत कच्ची हैं दीवारें न अब बरसात भारी हो /2
न तो धर्मों का हमला हो न ही पंथों से हो खतरा
न इस जम्हूरियत पर अब किसी की जात भारी हो /3
पढ़ा विज्ञान है सबने करो तरकीब कुछ ऐसी
न तो हो तेरह का खतरा न साढ़े सात भारी हो /4
महज इक हार से जीवन…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2016 at 11:29am — 12 Comments
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