1222 1222 122
निगाहों से हुई कोई ख़ता है ।
जो दिल तुझसे वो तेरा मांगता है ।।
रवानी जिस मे होती है समंदर ।
उसी दरिया से रिश्ता जोड़ता है ।।
हमारी ज़िन्दगी को रफ्ता रफ्ता ।
कोई सांचे में अपने ढालता है ।।
तुम्हारे हुस्न के दीदार ख़ातिर ।
यहाँ शब भर ज़माना जागता है ।।
कभी तुम हिचकियों से पूछ तो लो ।
तुम्हे अब कौन इतना चाहता है ।।
ठहर जाती हैं नज़रें…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 25, 2020 at 12:35pm — 4 Comments
2122 2122 212
जाने कैसी तिश्नगी है ज़िंदगी ।
ख्वाहिशों की बेबसी है जिंदगी ।।
हर तरफ़ मजबूरियों का दौर है ।
ज़ह्र कितना पी रही है जिंदगी ।।
फ़िक्र किसको है सियासत तू बता ।
भूख से दम तोड़ती है जिंदगी ।।
दर्दो ग़म मत पूछिए मेरा सनम ।
बेवफ़ा सी हो गयी है ज़िन्दगी ।।
इस वबा के जश्न में तू देख तो ।
क्यूँ बहुत सहमी हुई है ज़िन्दगी ।।
है तबाही का नया मंज़र यहां…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 25, 2020 at 12:27pm — 1 Comment
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