रामनवमी के सुअवसर पर मुझे आगरा -मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर यमुना किनारे स्थित सूरकुटी के नेत्रहीन विद्यालय के नेत्रहीनों के साथ कुछ समय बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।यह क्षेत्र सूर-सरोवर (कीठम-झील) के समीप हैऔर महाकवि सूरदास की कर्मस्थली गऊघाट पर अवस्थित है।यहीं सूर-श्याम मंदिर भी है,जहाँ सूरदास जी श्यामसुंदर की भक्ति में डूबे रहते थे।इसके समीप ही पाँच सौ वर्ष प्राचीन वह कुआँ भी है,जिसके विषय में यह किवदंती प्रचलित है कि एक बार जन्मांध सूरदास जी इस कूप में गिर गए थे,तब भगवान श्रीकृष्ण ने…
ContinueAdded by Savitri Rathore on April 23, 2013 at 1:57pm — 12 Comments
ये दिल आज भी मचलता है तुम्हारे लिए।
अश्कों का दरिया बहता है तुम्हारे लिए।।
मैं जी नहीं पा रही हूँ तुमसे अलग होकर,
सीने में एक दर्द पिघलता है तुम्हारे लिए।।
जाने क्यों मैं आज भी ज़िंदा हूँ तुम्हारे बिन,
मैं आख़िर मर क्यों नहीं जाती तुम्हारे लिए।।
तू मेरी ज़िन्दगी,मेरी जान,मेरा सब कुछ है,
ये साँस आज भी चलती है सिर्फ़ तुम्हारे लिए।।
ताउम्र रहेगा तेरा इंतज़ार मुझको मेरे साथी,
मरकर भी ये आँखें खुली रहेंगी…
Added by Savitri Rathore on April 20, 2013 at 11:30pm — 10 Comments
ये प्रेम मिलन का गीत नहीं,
विरह का विवशता-गान सही।
आज तुम मेरे मन के मीत नहीं,
तो प्राणों से बिछुड़ी जान सही।
ये नयन तुम्हारी छवि के दर्पण,
तुम नहीं तो अश्रु का स्थान सही।
ये मन तुम्हारी स्मृतियों का आँगन,
तुम नहीं तो पीड़ा का श्मशान सही।
चाहा था तुमसे मैंने केवल गहन प्रेम,
यदि नही तो उपेक्षा और अपमान सही।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक और अप्रकाशित]
Added by Savitri Rathore on April 15, 2013 at 10:52pm — 10 Comments
करूणा के वशीभूत होकर
हृदय ने,पूछा मुझसे यह,
जीवन की निर्जन-बेला में,
तू बता,मुझे कौन है वह?
विशाल जीवन-सागर में
चलता है साथ तेरे जो,
क्या है कोई इस संसार में,
समझ सके विचार तेरे वो?
हृदय के इस प्रश्न ने,
डाल दिया मुझे सोच में।
फिर मन-ही-मन मैं लगी,
स्वयं से यह पूछने।
इस विशाल-संसार में होगा
कहीं पर ऐसा कोई क्या?
दुःख-दग्ध और करूणा से पूर्ण,
समझेगा मेरे हृदय की व्यथा।
सोचा है मन में जो कुछ मैंने,
संभव…
Added by Savitri Rathore on April 6, 2013 at 11:21pm — 18 Comments
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