ग़ज़ल
फ ऊलन -फ ऊलन- फ ऊलन- फ ऊलन
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ये हसरत मुकम्मल कभी हो न पाई।
मिले वह मगर दोस्ती हो न पाई ।
मुलाक़ात का सिलसिला तो है जारी
मगर इब्तदा प्यार की हो न पाई ।
त अज्जुब है बदले हैं महबूब कितने
मगर काम रां आशिक़ी हो न पाई।
गए वह तसव्वुर से जब से निकल कर
खुदा की क़सम शायरी हो न पाई ।
करें नफ़रतें भूल कर सब मुहब्बत
अभी तक ये जादूगरी हो न पाई ।
मुसलसल वो करते रहे बे…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on April 26, 2017 at 7:30pm — 8 Comments
फाइलुन -फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
वक़्ते तन्हाई मेरा गुज़र जाएगा |
तू अगर साथ शब भर ठहर जाएगा |
मुझको इज़ने तबस्सुम अगऱ मिल गई
तेरा मगरूर चेहरा उतर जाएगा |
मालो दौलत नहीं सिर्फ़ आमाल हैं
हश्र में जिनको लेकर बशर जाएगा |
उसके वादों पे कोई न करना यक़ी
वो सियासी बशर है मुकर जाएगा |
देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र
खुद बखुद ही निकल दिल से डर जाएगा |
आप खंजर का एहसान लेते है…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on April 22, 2017 at 12:00pm — 13 Comments
ग़ज़ल (मुहब्बत ही निभाई दोस्तों )
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2122 -2122 -2122 -212
आँख उसने जब भी नफ़रत की दिखाई दोस्तों |
मैं ने बदले में मुहब्बत ही निभाई दोस्तों |
रुख़ तअस्सुब की हवा का भी अचानक मुड़ गया
जिस घड़ी शमए वफ़ा हम ने जलाई दोस्तों |
गम है यह इल्ज़ाम साबित हो नहीं पाया मगर
आज़माइश फिर भी क़िस्मत में है आई दोस्तों |
बन गया दुश्मन अमीरे शह्र मेरा इस लिए
हक़ की खातिर ही क़लम मैं ने…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2017 at 12:07pm — 15 Comments
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