Added by Dr Ashutosh Mishra on April 30, 2014 at 11:19am — 9 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
बड़ी उम्मीद से मालिक ने ये दुनिया बनायी है
दरिंदों ने मगर ये आग नफरत की लगाई है
कमर दुहरी हुई थी उसकी इक झोपड़ के ही खातिर
मगर हैवान ने वो भी नहीं छोडी जलाई है
नपुंसक हो गए हैं आज ताजो तख़्त दुनिया के
यही कहती है सबसे चीख बेबा की रुलाई है
कुलांचे भर रहा था जो लहू में है पड़ा भीगा
हिरन शावक पे किसने आज ये गोली चलायी है
अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2014 at 3:42pm — 9 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
हसींन जुल्फ कहीं पर बिखर रही होगी
हवा है महकी उधर से गुजर रही होगी
फलक पे चाँद है बेताब चांदनी गुमसुम
कहीं जमी पे वो बुलबुल निखर रही होगी
जमी पे आज हैं बिखरे तमाम आंसू यूं
ग़मों में डूबी ये शब किस कदर रही होगी
मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो
खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी
जो जान हम पे छिड़कती उसे नहीं देखा
वो झिर्रियों से ही तकती नजर रही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 16, 2014 at 12:12pm — 17 Comments
1222 1222 1222 1222
इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं
कहूं मरहम इन्हें या खंजरों का वार ही समझूं
कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझको लगती है
कहूं बातों को बातें या इन्हें इकरार ही समझूं
वो डर के भेडियो से आज मेरे पास आये हैं
कहूं हालात इसको या कि फिर एतवार ही समझूं
झरे आँखों से आंसू आज तो बरसात की मानिंद
कहूं मोती इन्हें या सिर्फ मैं जलधार ही समझूं
तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है …
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 16, 2014 at 11:00am — 8 Comments
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