१-अँधेरा
जिधर देखो उधर अँधेरा ही अँधेरा
तुम नजर उठाओ तो सही
गाँव ,शहर ,या घर में भी
काली रातें, घोर अन्धेरा
और कहीं
कुछ दिखता है क्या ?
बहुत अंधकार दिख रहा है ना
क्या कोई दीपक जल रहा है
तो उसे जलने दो
२-बूढ़ा बाप-
बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे
३-दर्द
न दिखने वाले दर्द से दब गया हूँ
इसलिए रो रहा हूँ की
थोड़ा…
Added by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 2:46pm — 27 Comments
भारी भरकम काया,है बड़ी विचित्र माया ,
खुद खाती ठूसकर ,मुझपे चिल्लाती है !
हुआ वजन सौ किलो ,फिर भी दम ना लेती ,
गुंडई तो देखो इसे ,डाइटिंग बताती है !!
खर्राटे जब लेती है,मानो भूकंप आ गया ,
पड़ोसियों की भी तब ,नींद टूट जाती है !
अपने को…
Added by ram shiromani pathak on April 18, 2013 at 4:00pm — 18 Comments
1-
लड़ती पीट तालियाँ, हज़ार देती गालियाँ,
अच्छे भले दिमाग का, दही कर देती है |
हर पल तंग करे, उल्टे पुल्टे कर्म करे,
मंगल जैसे ग्रह को, शनि कर देती है |
यदि देख लिया पैसा, पूछे नही कि है कैसा,
झट-पट बटुए को, खाली कर देती है…
Added by ram shiromani pathak on April 16, 2013 at 6:13pm — 6 Comments
सीस झुके है सबके ,करते हुए वन्दना
लोग न अघाते माता, माता बोले जाते है!
जिस ओर देखो उस, ओर दिखती है भीड़,
मन में कामना लिए, ध्यान किये जाते है!!
पल भर अपने को ,सब भूल जाते यहाँ ,
पूजन में लीन सब, कष्ट भूल जाते है !
जान…
Added by ram shiromani pathak on April 12, 2013 at 1:00pm — 13 Comments
बीर छंद या आल्हा छंद
(यह छंद १६-१५ मात्रा के हिसाब से नियत होता है. यानि १६ मात्रा के बाद यति होती है. वीर छंद में विषम पद की सोलहवी मात्रा गुरु (ऽ) तथा सम पद की पंद्रहवीं मात्रा लघु (।) होती है. )
एक प्रयास किया है मैंने गुरुजनों का अमूल्य सुझाव मिलेगा ऐसी अपेक्षा है !!
कूद पड़ी जब रण में माता ,दानव दल में हाहाकार !
एक हाथ में भाल लिए थी ,दूजे हाथ पकड़े तलवार !!
हाथ काटती पैर काटती ,कछु दुष्ट का लै सिर उपार !!
दौड़ा -दौड़ाकर तब माता…
Added by ram shiromani pathak on April 9, 2013 at 2:30pm — 11 Comments
कबहुँ सुखी क्या आलसी, ज्ञानी कब निद्रालु ?
वैरागी लोभी नहीं, हिंसक नहीं दयालु!! १
शक्ति क्षीण करते सदा, यदि अवगुण हों पास
दुर्गुण रहित चरित्र में, होता शक्ति निवास!!२
गुरुता का व्यवहार ही, गुरु को करे महान
पूजनीय औ श्रेष्ठ जो, पायें खुद सम्मान!!३
नैतिकता सद्चरित का, जिसमें पूर्ण अभाव
दयाहीन उस मनुज के, रहें मलिन ही भाव!!४
अवगुण निज में देखिये, रख सद्गुण पहचान
त्रुटियों से जो सीख ले, जग में वही…
Added by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 12:30pm — 19 Comments
इस जीवन में लगा रहेगा ,
दुःख-सुख हार जीत!
दृढ़ता से बढ़ते रहो ,
गाओ विजय का गीत !!
अविराम बढ़ते चलो ,
भर लो अन्दर शक्ति भरपूर…
Added by ram shiromani pathak on April 3, 2013 at 9:46pm — 17 Comments
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