दूर करे अभाव (काम रूप छंद 9-7-10 पर यति)
निर्भय रहे सब, वोट देकर, करे सही चुनाव |
सही चुनाव से, देश में हो, दूर करे अभाव ||
अच्छे को चुने, करे न लोभ, हो तभी कुछ काम
ऐसा क्यों चुने, चुनकर वही, वसूले सब दाम ||
…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 23, 2014 at 7:53pm — 13 Comments
माँ की छोटी कोख में, पूत रहा नौ माह,
माँ को आश्रम भेज कर, मिली पूत को राह |
मिली पूत को राह, नहीं माँ वहां अकेली |
घरको से थी दूर, बहुत पर मिली सहेली
कह लक्ष्मण कविराय, पूत करले चालाकी
उसका ही सम्मान, करे जो पूजा माँ की |
(२)
परछाई भी दिख रही, अपने बहुत करीब
हाथ बढ़ा कर छू सकूँ, ऐसा नहीं नसीब |
ऐसा नहीं नसीब, भ्रमित मन होता इतना
स्वप्न मात्र संयोग, मिले नसीब में जितना
कह लक्ष्मण कविराय, स्वप्न में फटी बिवाई
उसे…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2014 at 6:36pm — 8 Comments
बेशर्मी को ओढ़कर कायर हुआ समाज
चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए लाज
कौन बचाए लाज, खुले घूमे उन्मादी
अपराधी आजाद, मिली ऐसी…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2014 at 5:30pm — 6 Comments
पहन मुखौटा घूमते, आया पास चुनाव,
खेती बो विश्वास की, तापे खूब अलाव ।
छलियाँ बनकर लूटने, करे प्रेम की बात,
सबकी बाते मानते, दिन हो चाहे रात ।
मीठा मंतर मारते, मन में रखते खोट,
बंजर को उर्वर कहे, लेने इनको वोट ।
पाखण्डी कुछ आ गए, देख हमारे गाँव,
आकर लूटे कारवाँ, बोझिल से है पाँव ।
देख हवा के रूख को, झट पलटी खा जाय,
अपने दल को छोड़कर, दूजे दल में जाय |
होड़ लगी है मंच पर, फिसला…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 8, 2014 at 9:43am — 12 Comments
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