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Coontee mukerji's Blog – April 2013 Archive (6)

एक लड़की पगली सी

एक लड़की पगली सी -

खड़ी रहती हर सुबह छ्त पर अकेली,

कभी बालों को सँवारती,

होंठों में कुछ गुनगुनाती रहती.

सूरज जब दहलीज पर आता

दे जाता आभा रेशम सी,

सुनहरी किरणों से नहाती औ’

खुशियों से झूम झूम जाती.

एक लड़की भोली सी -

टहलती हुई छ्त पर भरी दोपहर

बालों को फूलों से सजाती,

पवन का झोंका आता ठहर-ठहर

डोल जाती वह कोमलांगिनी

शर्माती, हुई जाती कुछ सिहर-सिहर.

हँसती, कभी मुसकाती एक लड़की -

भोला बचपन गया, कब आया यौवन

समझ न…

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Added by coontee mukerji on April 27, 2013 at 12:05pm — 10 Comments

इंसान की फ़ितरत

इंसान की फ़ितरत

मुझे M B C (मॉरिशस ब्रॉड्कास्टिंग कॉर्पोरेशन) में स्पीकर पोस्ट के लिये एक साक्षात्कार देना था . उस दिन तेज़ बारिश हो रही थी . मैं इंटरव्यू देकर बाहर खड़ी , बारिश के रुकने की प्रतीक्षा करने लगी . पानी था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था . एक तो जुलाई का महीना उस पर क्यूपीप की सरदी . ठंड से मेरे दाँत बजने लगे थे . मेरे पास ढंग का स्वेटर भी नहीं था जो साथ लेती . शाम के पाँच बज गये थे और अंधेरा भी होने लगा था. मैं चिंतित होने लगी थी अगर बस छूट जाएगी तो मैं क्या करूँगी ? इसी सोच…

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Added by coontee mukerji on April 23, 2013 at 9:27pm — 4 Comments

धरती का संताप

धरती का संताप

1

विलाप करती वसुमती – ‘ कह रही ‘

हे सागर ! उदधि महान !

उगता जब मेरे आँचल में

आकाश मण्डल दिशा

सूर्य चंद्र और नक्षत्र घटा

प्रताड़ित क्यों हूँ इतनी

बता !…

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Added by coontee mukerji on April 22, 2013 at 1:22pm — 11 Comments

आरती



मैं इतनी धार्मिक प्रवृत्ति की नहीं हूँ लेकिन नास्तिक भी नहीं हूँ . सारे धार्मिक त्योहार पूरी निष्ठा के साथ मनाती हूँ . मुझे भगवान की आरती सुनना बेहद अच्छा लगता है .

पिछ्ले साल की बात है . दिल्ली से हम लखनऊ रहने आ गये . शारदीय नवरात्र चल रहा था . हम पास के एक मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा करने गये . आरती जब शुरू हुई तो आँखें बंद कर मैं पूरी तन्मयता से उसमें लीन हो गयी . आरती समाप्त हो गयी लेकिन मैं आँखें मूँदे ध्यानमग्न रही , तभी पण्डाल में हड़कम्प मच गया . मैं कुछ समझ पाती इससे पहले…

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Added by coontee mukerji on April 17, 2013 at 12:14am — 7 Comments

मेरा राम आयेगा

मेरा राम आयेगा

नित्य मुँह अंधेरे फूल चुन चुन

गली आंगन थी रही सजा,

एक आस एक चाह लिये

कही शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

शाम ढल जाती सूरज थकता

देकर अंतिम किरण जाता,

एक अटूट विश्वास बढ़ाता,

कहती शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

बचपन गया , जवानी बीती

पलक बिछाए राह निहारती,

प्रौढ़ा दिनभर मगन रहती

कहती शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

वन उपवन भी थक चले

बोले ' तू बूढ़ी हो गयी , जा

कहीं विश्राम कर , छोड़ ये जिद्द '

शबरी बोली -…

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Added by coontee mukerji on April 16, 2013 at 2:35am — 11 Comments

पत्थर



कारोलीन एक छोटा सा गाँव . यह उन्नीस सौ साठ की बात है . हमारे पड़ोस में एक औरत अपने

छः साल के बेटे के साथ रहने आयी . वह बहुत झगड़ालू थी . वह आये दिन किसी न किसी से लड़ाई करती रहती . वह जब भी किसीको निशाना बनाती अपने बेटे से कहती जाओ उसे पत्थर से

मारो . वह परित्यक्ता थी, अकेली थी , इसीलिये लोग कुछ नहीं कहते और उससे हर सम्भव दूरी बनाये रखते . लोगों की चुप्पी को वह कायरता समझ बैठी .

उसके घर के समीप एक बड़ा सा मैदान था . शाम के वक्त हम सभी गाँव के बच्चे उसमें खेलने जाते थे.…

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Added by coontee mukerji on April 9, 2013 at 11:01pm — 5 Comments

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