मदर्स दे आने वाला है बस एक दिन के लिए
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माँ क्यों चुप हो कुछ बोलो तो ?
अपने मन की पीड़ा को
मेरे आगे खोलो तो
माँ तुम क्यों चुप हो ?
कर्तव्य निष्ठ की बेदी बन
तुमने अपने को…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on April 30, 2015 at 8:30pm — 7 Comments
भोर के स्वर गान में
आकर बसे तुम प्राणों में
रश्मि मुग्धा ले चली
अनुराग सागर की तली
सीप की उच्छवांस में
आकार बसे तुम लहर में
मौन होकर रात भागी
तारकों को विरक्ति लागी
आकाश के सोपान में
आकर बसे तुम भानु में
प्रेम के संतृप्त मन में
नेह से डोले बदन में
चारणों की मधुर धुन में
आकर बसे तुम शब्दों में
नीद के विश्वास में
अभिलाष के अवकाश…
Added by kalpna mishra bajpai on April 20, 2015 at 9:00pm — 7 Comments
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