मापनी २२१२ १२१ १२२ १२१२
हमने रखा न राज़ सभी कुछ बता दिया
खिड़की से आज उसने भी परदा हटा दिया
बंजर जमीन दिल की’ हुई अब हरी-भरी
सींचा है उसने प्रेम से’ गुलशन बना दिया
जज्बात मेरे’ दिल के’ मचलते चले…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 19, 2019 at 9:00pm — 3 Comments
मापनी - 2122, 1122,1122, 22(112)
दूर साहिल हो भले, पार उतर जाता है
इश्क में जब भी कोई हद से गुज़र जाता है
है तो मुश्किल यहाँ तकदीर बदलना लेकिन
माँ दुआ दे तो मुकद्दर भी सँवर जाता है
हमसफ़र साथ रहे कोई…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 15, 2019 at 9:30am — 6 Comments
लेकर आये
हैं जुगाड़ से,
रंग-बिरंगे झंडे
सजा रहे
हर जगह दुकानें,
राजनीति के पंडे
खंडित जन
विश्वास हो रहा…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 13, 2019 at 10:07pm — 6 Comments
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