अकेले तुम नहीं यारा
तुम्हारे साथ और भी बात
मुझे हैं याद
कि जैसे फूल खिला हो
तुम हसीं, बिलकुल महकती सी
चहकती सी
मृदुल किरणों में धुलकर आ गई
और छा गई
जैसे कि बदली जून की
तपती दोपहरी से धरा को छाँव देती
ठाँव देती हो मुसाफिर को
कि जैसे झील हो गहरी
कि ये भहरी…
Added by आशीष यादव on April 17, 2020 at 7:09am — 2 Comments
नहीं हमारी नहीं तुम्हारी
अखिल विश्व में महा-बिमारी
आई पैर पसार
भैया मत छोड़ो घर-द्वार
भैया मत छोड़ो घर-द्वार
निकल चीन से पूर्ण जगत में डाल दिया है डेरा
यह विषाणु से जनित बिमारी, खतरनाक है घेरा
रहो घरों में रहो अकेले
नहीं लगाओ जमघट मेले
कहती है सरकार
भैया मत छोड़ो घर-द्वार
नहीं आम यह सर्दी-खाँसी इसका नाम कोरोना
नहीं दवाई इसकी, होने पर केवल है रोना
इसीलिए मत घर से निकलो
धीर धरो पतझड़ से निकलो
मानो…
Added by आशीष यादव on April 4, 2020 at 11:33am — 2 Comments
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