साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
अवगुंठित भाव होकर अधीर
गीतों में निरी भरते हैं पीर
विरह कंटक चुभ हिय घाव करें…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 31, 2013 at 11:00pm — 22 Comments
(प्रवास पर होने के कारण तरही मुशायरा अंक ३५ की ग़ज़ल यहाँ पेश कर रही हूँ )
आज जिस हाल में खुदा लाया
वक्त सपने वहीँ सजा लाया
रात सपने हसीन लाती है
दिन बुलाकर करीब क्या लाया
चाँदनी से सितारे रूठेंगे
चाँद दिल रात का चुरा लाया
तुम मिलोगे हजार कोशिश की
फिर हमें आज वास्ता लाया
जाते- जाते यही कहा उसने
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया
मोड़ जिसपर जुदा हुए थे हम
फिर वहीँ आज…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 22, 2013 at 11:00am — 18 Comments
मैं कैसे सोऊँ ??
नौ माह का अंकुर पूर्ण हुआ
व्याकुल जग पंथ निहारता
गर्भ नाल में जब हुई पीड़ा
रक्त माँ- माँ कह पुकारता
मैं कैसे सोऊँ ?
जब बिस्तर उसका हुआ गीला
वो करवट करवट जागता
मुख ,उँगलियाँ मचलती वक्ष पर
पय उदधि हिलौरे मारता
मैं कैसे सोऊँ ?
रोटी का कौर लिए फिरती
वो नाक चढ़ा चिंघाड़ता
मैं कलम किताब दूँ हाथों…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 11, 2013 at 10:00pm — 16 Comments
बस पांच मिनट का पड़ाव
Added by rajesh kumari on May 7, 2013 at 11:58am — 18 Comments
Added by rajesh kumari on May 3, 2013 at 10:00am — 35 Comments
खुरदुरी हथेलियाँ
Added by rajesh kumari on May 1, 2013 at 11:37am — 23 Comments
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