आकर वह आँचल में सोये
प्रेम दिखाए नैन भिगोये
मेरा है वह आज्ञापालक
क्या सखि साजन? ना सखि बालक।।1
समझो उसको ज्ञान प्रदाता
जो चाहो वह ढूँढ़ के लाता
बहुत चलन में आज और कल
क्या सखि शिक्षक? ना सखि गूगल।।2
नई बहू पर डाले फन्दा
सास ननद को रखे सुनन्दा
हर पत्नी का वो सहजीवी
क्या सखि गहना? ना सखि टीवी।।3
आता है वह स्वेद बहाने
ओंठ छुवन से प्यास बढ़ाने
बरते तनिक नहीं वह नरमी
क्या सखि साजन? ना सखि…
Added by नाथ सोनांचली on May 9, 2020 at 7:00am — 7 Comments
छन्न पकैया छन्न पकैया, दूषित है हर कोना
जिसको दुनिया बोल रही है कोरोना -कोरोना।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हिम्मत तनिक न खोना
यह केवल इक असुर शक्ति है, चीनी जादू टोना।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सबको यह समझाएँ
अपने-अपने घर रह कर ही, आओ इसे हराएँ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हो सामाजिक दूरी
मास्क लगाकर घर से निकलें, जब हो बहुत जरूरी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सबको बात बताना
हाथ जोड़कर करें नमस्ते, हाथ न कभी…
Added by नाथ सोनांचली on May 8, 2020 at 11:18am — 7 Comments
पास उसके शक्ति श्रम की, पास उसके नूर है
वह जगत निर्माण करता अलहदा मजदूर है।।
घर खुला आकाश उसका औ शयन को है धरा
अस्थि पंजर शेष काया देख लगता अधमरा।।
भूख पीड़ित वो, नहीं कुछ और बातें सोचता
क्लेश चिन्ता दीनता तन रुग्ण यौवन नोचता।।
पास उसके पेट, भोजन चाहिए हर हाल में
ढूंढता जिसको फिरे वो ज़िन्दगी जंजाल में।।
वो बनाया ताज लेकिन नृप हुआ मशहूर है
जात क्या औ धर्म क्या मजदूर तो मजदूर है।।
पाँव…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 7:30pm — 16 Comments
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