मापनी 2122 1212 22/112
दोस्त जो आसपास बैठे हैं,
जाने क्यों सब उदास बैठे हैं
सोचते हैं कि कोई आएगा,
ले के खाली गिलास बैठे हैं.
फिर से दरबार सज गया उनका,
लोग सब ख़ास ख़ास बैठे…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on May 5, 2020 at 8:28pm — 7 Comments
मापनी 2122 1212 22/112
गर कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम जो देखो वो ख़्वाब हो जाऊँ
रोज पढ़ने का गर करो वादा
प्रेम की मैं क़िताब हो जाऊँ
मुझको काँटों से डर नहीं लगता
चाहता हूँ गुलाब हो…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:30pm — 6 Comments
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