एक खास बह्र पर ग़ज़ल
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तेरे हुस्न पर अब शबाब तय है ।
खिलेगा चमन में गुलाब तय है ।।
अगर हो गयी है तुझे मुहब्बत ।
तो फिर मान ले इज्तिराब तय है ।।
अभी तो हुई है फ़क़त बगावत ।
नगर में तेरे इंकलाब तय है ।।
बचा लीजिये आप कुछ तो पानी ।
मयस्सर न होगा ये आब तय है ।।
किया मुद्दतों तक वो जी हुजूरी ।
सुना है कि जिसका खिताब तय है ।।
अगर आ…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2019 at 12:01am — 3 Comments
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अब न चहरे की शिकन कर दे उजागर आइना ।
देखता रहता है कोई छुप छुपा कर आइना ।।
गिर गया ईमान उसका खो गये सारे उसूल ।
क्या दिखायेगा उसे अब और कमतर आइना ।।
सच बताने पर सजाए मौत की ख़ातिर यहां ।
पत्थरो से तोड़ते हैं लोग अक्सर आइना ।।
आसमां छूने लगेंगी ये अना और शोखियां ।
जब दिखाएगा तुझे चेहरे का मंजर आइना ।।
अक्स तेरा भी सलामत क्या रहेगा सोच ले ।
गर यहां तोड़ा कभी…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 25, 2019 at 11:56pm — 3 Comments
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हुस्न का बेहतर नज़ारा चाहिए ।
कुछ तो जीने का सहारा चाहिए ।।
हो मुहब्बत का यहां पर श्री गणेश ।
आप का बस इक इशारा चाहिए ।।
हैं टिके रिश्ते सभी दौलत पे जब ।
आपको भी क्या गुजारा चाहिए ।।
है किसी तूफ़ान की आहट यहां ।
कश्तियों को अब किनारा चाहिए ।।
चाँद कायम रह सके जलवा तेरा ।
आसमा में हर सितारा चाहिए ।।
फर्ज उनका है तुम्हें वो काम दें ।
वोट जिनको भी…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2019 at 1:12am — 8 Comments
ता-उम्र उजालों का असर ढूढ़ता रहा ।
मैं तो सियाह शब में सहर ढूढ़ता रहा ।।
अक्सर उसे मिली हैं ये नाकामयाबियाँ ।
मंजिल का जो आसान सफ़र ढूढ़ता रहा ।।
मुझको मेरा मुकाम मयस्सर हुआ कहाँ ।
घर अपना तेरे दिल में उतर ढूढ़ता रहा ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 16, 2019 at 1:10am — 1 Comment
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