For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kanta roy's Blog – June 2015 Archive (7)

एक प्रयास आस्तित्व के लिए ( लघुकथा ) कान्ता राॅय

एक प्रयास आस्तित्व के लिए (लघुकथा )





भूमि उर्वरक थी । महत्वाकांक्षी थी, स्वंय के सर्वोच्च उत्पादन हेतु । वो ...... जिसके मालिकाना हक में बंधी हुई थी .... उदासीन निकला था ....भूमि के प्रति । जिसके परिणाम स्वरूप बंजर के उपनाम से उद्घोषित होने लगी थी ।



वह सृजन के लिए बेताब हो खरपतवार का ही पोषण करती गई । क्यों ना करें ..? सार्थक बीजों से मोहताज जो थी !

वह सृजन की अभिलाषी , अपना अभिलाषा चाहे कैसे भी पूरा करे ..!



राह चलते अब लोगों की नजर उस बड़ी बड़ी… Continue

Added by kanta roy on June 27, 2015 at 10:56am — 4 Comments

शक -- एक कश्मकश (लघुकथा )

तैयार होकर रीता आॅफिस के लिए निकलने ही वाली थी कि नील कह उठे कि आज वो ही उसे आॅफिस छोड़ आयेंगे ।

उसे समझते देर ना लगी कि , आज फिर नील पर शक का दौरा पड़ चुका है ।

थे तो वे आधुनिक व्यक्तित्व के धनी ही । पत्नी का कामकाजी होना , उनकी उदारता का परिचय है समाज में । इसी कारण वे स्त्री विमर्श के प्रति बेहद उदार मान पूजे जाते है समाज में ।

"मै चली जाऊँगी , आप नाहक क्यों परेशान होते हो ! आपके आॅफिस का भी तो यही वक्त है । " - उसके आँखों में दुख से आँसू छलछला आये ।

"क्यों , तुम मुझे…

Continue

Added by kanta roy on June 25, 2015 at 7:00am — 16 Comments

गुरू वंदन अभिनंदन

तुम महान

अद्भुत स्वप्नद्रष्टा

स्वप्न कैसा

साकार किया है

व्यास प्रकाश

पुंज से अपने

जीवन का

महाकाव्य दिया है

तमस तम को

काट ज्ञान से

शुभ्र अमर

संदेश दिया है

तुम दूर दृष्टा हो

मै अज्ञानी

जन्म साकार

यह मूर्त दिया है

मस्तक पर तुम

चंदन हो स्वामी

यह हमने

स्वीकार किया है

तुम मेरे गुरू

गोविंद ब्रह्मज्ञानी

तुममें ईश्वर का

साक्षात्कार किया है







कान्ता राॅय…

Continue

Added by kanta roy on June 24, 2015 at 10:30am — 7 Comments

मक्खन जैसा हाथ (लघुकथा )

मक्खन जैसा हाथ (लघुकथा )





नई -नवेली दुल्हन सी वो आज भी लगती थी । आँखों में उसके जैसे शहद भरा हो । पिता की गरीबी नें उसे उम्रदराज़ की पत्नी होने का अभिशाप दिया था ।





उसका रूप उसके ऊपर लगी समस्त बंदिशों का कारण बना । उम्रदराज और शक्की पति की पत्नी अपने जीवन में कई समझौते करने के कारण कुंठित मन जीती है ।





आज चूड़ी वाले ने फिर से आवाज लगाई तो उसका दिल धक्क से धडक गया । वो हमेशा की ही तरह पर्दे की ओट से धीरे से उसे पुकार बैठी , " ओ , चूड़ी वाले !… Continue

Added by kanta roy on June 22, 2015 at 10:00am — 24 Comments

प्रश्नचिह्न के घेरे में (लघुकथा )

"तुमने जन्म देकर कोई एहसान नहीं किया है ..! क्या हमनें कहा था कि हमें इस दुनिया में लाओ ..? एक ब्रांडेड टी - शर्ट के लिए तो तरसते है हम .... अगर परवरिश करने की ताकत नहीं थी तो पैदा करने से पहले सोचना था ना ... अब हमारा क्या ...? "

"इसलिए तो सब घरबार बेचकर तुम्हारा एडमिशन इतने बडे़ काॅलेज में करवाया है कि तुम अपने बच्चों को वो सब दो जो हम ना दे सकें तुम्हें । "

"कितना शर्मिंदा होता हूँ वहाँ कालेज में इन साधारण कपडों में ... कितना अच्छा होता कि मै पढ़ाई ही नहीं करता ..! "…



Continue

Added by kanta roy on June 18, 2015 at 11:00am — 14 Comments

काम का आदमी ( लघुकथा )

" मंजू के यहाँ आज बडी़ वाली एल ई डी भी आ गई । पिछले ही महिने उसने गाड़ी भी ली थी । और एक आप है ...!!!"

" मै क्या ....? क्या कहना चाहती हो तुम ?"

वहीं पास के विडियो गेम में लगे बेटे ने भी कंधे को उचका कर पिता की ओर देख फिर अपने गेम में व्यस्त हो गया ।

" मै क्या कहूँगी भला आपसे .! आपकी ही आॅफिस का बाबू है वो ..और आप अधिकारी होकर भी किसी काम के नहीं ..! "

" किसी काम का नहीं मै ....? "- मन में रह - रह कर एक ही बात अब घुम रही थी कि वे क्या किसी काम के नहीं है सच में ..? कल…

Continue

Added by kanta roy on June 17, 2015 at 1:30pm — 22 Comments

कविता

बचपन भटक रही है ( कविता )





हैरी पोर्टर की दुनिया में

वो रहता मसगूल

नोमिता और सिंगचेन बनकर

ही होना है मशहूर

वो कहता है माँ से

मुझे चाहिए माॅसमेलो

चावल दाल भूल कर

बन गया राईस केक का फैलो

खीर हलवा पूरी

अब हुई पुरानी बात

करना हो तो करो चाऊमिन पिज़्ज़ा

रोल वोल की बात

माँ बन गई माॅम

पापा का तो काम तमाम

ऐश और पिकाचू लेकर

याद रहा बस पोकीमोन

स्पाइडर मैन का जादू

ऐसा सर चढकर बोला

सुपर मैन और आयरन… Continue

Added by kanta roy on June 11, 2015 at 11:55pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service