For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjiv verma 'salil''s Blog – June 2012 Archive (5)

गीत: लोकतंत्र में... संजीव 'सलिल'

गीत:

लोकतंत्र में...

संजीव 'सलिल'

*

लोकतंत्र में शोकतंत्र का

गृह प्रवेश है...

*

संसद में गड़बड़झाला है.

नेता के सँग घोटाला है.

दलदल मचा रहे दल हिलमिल-

व्यापारी का मन काला है.

अफसर, बाबू घूसखोर

आशा न शेष है.

लोकतंत्र में शोकतंत्र का

गृह प्रवेश है...

*

राजनीति का घृणित पसारा.

काबिल लड़े बिना ही हारा.

लेन-देन का खुला पिटारा-

अनचाहे ने दंगल मारा.

जनमत द्रुपदसुता का

फिर से खिंचा केश…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on June 23, 2012 at 8:10am — 11 Comments

दोहा कहे मुहावरा: खोल देखकर आँख --संजीव 'सलिल'







दोहा कहे मुहावरा:

खोल देखकर आँख

संजीव 'सलिल'

*





रवि-किरणें टेरें तुझे, देख खोलकर आँख.

आलस तज उठ जा 'सलिल', लग न जाए फिर आँख..

*







आँख मिलाकर आँख से, डाल आँख में आँख.

खुली आँख सपने दिखे, खुली रह गयी आँख..

*





आँख बंदकर आँख को, राह दिखाये आँख.

हाथ थामकर आँख का, गले लगाये आँख..

*



बाधा से टकरा पुलक, घूर मिलाकर आँख.…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on June 13, 2012 at 9:15am — 7 Comments

गीत: थिरक रही है... -- संजीव 'सलिल'

गीत:

थिरक रही है...

संजीव 'सलिल'

*

थिरक रही है,

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

*

बाधाओं की चट्टानों पर

शिलालेख अंकित प्रयास के.

नेह नर्मदा की धारा में,

लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.

धुआँधार का घन-गर्जन रव,

सुन-सुन रेवा सिहर रही है.

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

*

मौन मौलश्री ध्यान लगाये,

आदम से इन्सान बनेगा.

धरती पर रहकर जीते जी,

खुद अपना भगवान गढ़ेगा.

जिजीविषा सांसों की अप्रतिम

आस-हास बन बिखर रही है.

मृदुल चाँदनी…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on June 9, 2012 at 11:59am — 6 Comments

दोहा मुक्तिका: पल पल हो मधुमास... --संजीव 'सलिल'

दोहा मुक्तिका:

पल पल हो मधुमास...

संजीव 'सलिल'

*

आसमान में मेघ ने, फैला रखी कपास.

कहीं-कहीं श्यामल छटा, झलके कहीं उजास..

*

श्याम छटा घन श्याम में, घनश्यामी आभास.

वह नटखट छलिया छिपे, तुरत मिले आ पास..

*

सुमन-सुमन में 'सलिल' को, उसकी मिली सुवास.

जिसे न पाया कभी भी, किंचित कभी उदास..

*

उसकी मृदु मुस्कान से, प्रेरित सफल प्रयास.

कर्म-धर्म का मर्म दे, अधर-अधर को हास.

*

पूछ रहा मन मौन वह, क्यों करता परिहास.

क्यों दे पीड़ा उन्हीं को,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on June 6, 2012 at 9:40am — 6 Comments

मुक्तिका: मुस्कुराते रहो... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
मुस्कुराते रहो...
संजीव 'सलिल'
*
मुस्कुराते रहो, खिलखिलाते रहो
स्वर्ग नित इस धरा पर बसाते रहो..
*
गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो..  
*
बाग़ से बागियों से न दूरी रहे.
फूल बलिदान के नव खिलाते रहो..
*
भूल करते सभी, भूलकर भूल को
ख्वाब नयनों में अपने सजाते रहो..
*
नफरतें दूर कर प्यार के, इश्क के
गीत, गज़लें 'सलिल' गुनगुनाते रहो..
***

Added by sanjiv verma 'salil' on June 5, 2012 at 7:34am — 9 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service